क्यों डराता है पहाड़ों को मानसून ? 

Spread the love

रिपोर्ट- ओम जोशी

उत्तराखंड के आठ जिलों में 10 और 11 जुलाई को भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी मौसम विभाग ने जारी की है। वहीं अगले तीन-चार दिन प्रदेश भर में बारिश की संभावना भी जतायी है।मानसून का आगमन और मौसम विभाग के अलर्ट के बाद शासन-प्रशासन की चुनौतियां बढ़ने लगी हैं।उत्तराखंड में मानसून भले ही अभी शुरुआती दौर में ही है मगर धीरे धीरे राज्यवासियों की चिंताओं में इज़ाफ़ा होने लगा है, राज्य में सड़कों के बंद होने का सिलसिला शुरू हो गया है। उधर मौसम विभाग की चेतावनियां भी डराने लगी हैं। मानसून हमेशा ही प्रदेश के लिए बड़ी आपदाएं लेकर आया है। 

 दुःख यह है कि पिछली घटनाओं से कोई सबक नहीं लिया जाता और जब पानी सर के ऊपर से गुजरने लगता है और एक जैसी समानांतर आपदा घटनाएं लगातार घटने लगती हैं तब सरकार एक्टिव मोड में नज़र आती है। हालाँकि मौसम विभाग समय समय पर ऑरेंज, रेड-अलर्ट जैसी चेतावनियां जारी करता रहता है मगर मौसम विभाग के “अलर्ट” पर भी विशवास नहीं किया जाता क्यूंकि या तो ये इतने विस्वश्नीय नहीं होते या फिर केंद्र इतने संवेदनशील क्षेत्र को ध्यान में रखकर उचित उपकरण नहीं लगा पा रही। ध्यान रहे उत्तराखंड भारत का ऊपरी भू-भाग है जहाँ से कई प्रसिद्ध नदियाँ निकलती हैं। 

प्रकृति के आगे भले ही मनुष्य बेबस नज़र आया है मगर नदियों के किनारे अवैध निर्माण, आल वैदर रोड के नाम पर पेड़ों का कटान, विस्फोटों से पहाड़ों को खोखला कर छोड़ देना जैसे कार्य भी मानसून में हुए नुक्सान में जबरदस्त इज़ाफ़ा करते हैं वहीँ तेज बारिश के कारण कई जगह भूस्खलन की घटनाओं में भी खासी बढ़ोतरी हो जाती है और बदल फटने के मामले भी सामने आते रहते हैं। बरसात शुरू होते ही नदियों किनारे बसे गावं दहशत में आ जाते हैं,आवागमन ठप हो जाता है। बरसात की शुरुवात में ही अखबारी आंकड़े बताने  लगे हैं की राज्य की करीब 100 सड़कें बंद हो चुकी हैं।

वहीँ मानसून में अलर्ट मोड में रहने वाले आपदा प्रबंधन विभाग को कोविड-19 ने उलझा दिया है। कोरोना आपदा के बीच अब आपदा प्रबंधन विभाग को मानसून से निपटने की चुनौती का भी सामना  करना पड़ेगा। एस०डी०आर०एफ अपनी तैयारियों का गुणगान बड़ा चढ़ाकर करता तो है  है मगर धरातल पर वो दिखाई नहीं देती और अगर आने वाले इस मानसूनी संकट पर सरकार तत्परता से कार्य नही कर पाती तो हमे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे और हमे भविष्य में इससे बड़ी त्रासदियों से गुजरते रहना होगा।


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *