महत्वपूर्ण संस्थान खो रहा देहरादून

Our News, Your Views

यूँ तो द्रोणनगरी देहरादून अपनी अनेकों खासियतों के लिए जाना जाता है, एक समय यहाँ की लीची और बासमती चावल जैसे खाद्य पदार्थों की विशिष्ट पहचान हुआ करती थी,तो वहीँ शिक्षा के क्षेत्र में दून स्कूल, व्हेलम स्कूल और इसके साथ-साथ यहाँ अच्छे स्कूलों की एक लम्बी श्रृंखला भी मौजूद है, देश के कई जाने माने संस्थान यहाँ मौजूद हैं, जिनमे एएसआई, एफआरआई, सर्वे ऑफ़ इंडिया, ओएनजीसी जैसी कई महत्वपूर्ण संस्थान यहाँ वर्षों से कार्य कर रहे हैं, मगर इनमें से कुछ संस्थानों को अब धीरे-धीरे यहाँ से बिना कारण बताये समेटा जा रहा है।
इनमें से ही एक महत्वपूर्ण संस्थान है भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई ) की विज्ञान शाखा जो करीब सौ वर्षों से देश और विदेशों की तमाम धरोहरों की केमिकल ट्रीटमेंट का कार्य करती रही है,वह भी अब दून से विदा होने की तैयारी में है।
देहरादून में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विज्ञान शाखा का कार्यालय और प्रयोगशाला है, मुख्यत: यहाँ से देश के राष्ट्रीय स्मारकों के कार्यों पर निगरानी रखी जाती है, जिनमें उत्तराखण्ड़ के 44 स्मारकों सहित अन्य क्षेत्रों में स्थित स्मारकों एंव लेह-लदाख के भित्तीचित्रों का रासायनिक परीक्षणों का कार्य किया जाता है।
गौरतलब है कि 2013 में उत्तराखंड में आयी भयंकर आपदा के बाद केदारनाथ मंदिर के पुनः सरंक्षण के कार्य में भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कार्यालय ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। आपदा के दौरान केदारनाथ मंदिर को हुए नुक्सान के उपरांत इसी संस्थान द्वारा केमिकल ट्रीटमेंट कर केदारनाथ को संवारा गया था। इसी प्रकार एएसआई देश की विभिन्न धरोहरों की देख-रेख करता रहा है। रामजन्म भूमि के अवशेषों की रिपोर्ट भी यहीं तैयार हुई इसी शाखा के विशेषज्ञों ने अयोध्या में राम जन्म भूमि में मिले अवशेषों का परीक्षण व उनका केमिकल ट्रीटमेंट किया और उसकी रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष भी प्रस्तुत की है।
जून माह में प्रभारी निदेशक (विज्ञान) की तैनाती के बाद से कार्यालय बदलने की कवायद तेजी पकड़ने लगी है, हालांकि पहले केवल यहाँ से प्रयोगशाला को स्थानांतरण करने की बात की जा रही थी, मगर बाद में पूरे कार्यालय को ग्रेटर नोएडा शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया है।
संस्थान के इस  निर्णय के बाद कार्यालय के दृत्य और तृत्य क्रमिक सकते में हैं, वे परेशान नज़र आ रहे हैं वो खुलकर सामने तो नहीं आते मगर दबी जुबान से इस निर्णय की खिलाफत करते नज़र आ रहे हैं, वे नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि,
“हमें संस्थान को शिफ्ट करने का कारण भी नहीं बताया जा रहा है, हमारे साथ-साथ हमारा पूरा परिवार मानसिक तौर पर टूट गया है, हमें समझ नहीं आ रहा कि इस परेशानी से कैसे निपटेंगे ? उनका कहना है की ऐसी मानसिक परेशानी में हमारे बीच का एक साथी भी हमसें जुदा हो गया है।”
जब हमने शिफ्टिंग के इस निर्णय के पर संस्थान के प्रभारी निदेशक (विज्ञान) रामजी निगम से बात की तो उनका कहना है कि “हमारे कार्यालय का मुख्यालय दिल्ली में है, वहीं से आपको कारण  पता चल सकेगा,”हम तो सरकारी अधिकारी हैं जो हमें आदेश होगा वो हम करेंगे।”
बहरहाल देहरादून की पहचान बन चुके ऐसे महत्वपूर्ण संस्थानों का देहरादून से विदा होना प्रत्येक दूनवासी के लिए दुखदायी खबर है, उन्हें अब भी आशा है कि शायद संस्थान इस निर्णय पर पुनः विचार करे और दून को उसकी पुरानी पहचान वापस मिल जाये।

Our News, Your Views

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *