उत्तराखंड बहुत से वीर-वीरांगनाओं की प्रसूता भूमि रही हैं। जिन्होंने अपने अदम्य शौर्य का परिचय देकर अपना नाम इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज कराया हैं। हर साल आठ अगस्त को तीलू रौतेली व आंगनबाड़ी पुरस्कार दिए जाते हैं। आज 13 विभूतियों के साथ ही 32 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्य अतिथि महिला सशक्तिकरण एवं विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने शिरकत की। इस दौरान वीरांगना तीलू रौतेली के जीवन पर आधारित एक शॉर्ट फिल्म भी दिखाई गई।
इस साल विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली 13 महिलाओं और किशोरियों का वीरांगना तीलू रौतेली राज्य पुरस्कार के लिए चयन किया गया है। जिसमे प्रदेश की पहली गढ़वाली महिला संगीत अध्यापिका के रूप में अपनी सेवाएं देने वाली देहरादून की डाॅ. माधुरी बड़थ्वाल और गुलदार के हमले से अपनी सास को बचाने वाली रुद्रप्रयाग की विनीता देवी, खेल के क्षेत्र में अल्मोड़ा की प्रीति गोस्वामी, हस्तशिल्प के क्षेत्र में चमोली की नर्मदा देवी रावत, साहित्य के क्षेत्र में चंपावत की सोनिया आर्या, खेल क्षेत्र में बागेश्वर की नेहा देवली, खेल क्षेत्र में हरिद्वार की संगीता राणा, विज्ञान के क्षेत्र में नैनीताल की सुधा पाल, खेल क्षेत्र में पौड़ी की अंकिता ध्यानी, सामाजिक क्षेत्र में पिथौरागढ़ की शकुंतला दताल, सामाजिक क्षेत्र में टिहरी गढ़वाल की रीना उनियाल, पैरा बैडमिंटन में बेहतर प्रदर्शन पर ऊधमसिंह नगर की मनदीप कौर, सामाजिक क्षेत्र में उत्तरकाशी की गीता गैरोला हैं।
राज्य स्त्री शक्ति तीलू रौतेली एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्री पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्य अतिथि महिला सशक्तिकरण एवं विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने शिरकत की। मंत्री रेखा आर्या ने बताया कि हर साल आठ अगस्त को तीलू रौतेली व आंगनबाड़ी पुरस्कार दिए जाते हैं। यह पुरस्कार खेल, कला, संस्कृति, पर्यावरण, समाजसेवा आदि के क्षेत्र में दिया जाता है। इस पुरस्कार में 51 हजार की धनराशि, स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण ट्रैकर ऐप आने वाले समय में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ ही जनता भी इसको देख सकेगी।
उन्होंने बताया कि इसके साथ ही 32 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी पुरस्कार दिया गया। बाल परियोजनाओं में अच्छा कार्य करने वाली कार्यकर्ताओं को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। उन्होंने कहा कि सभी पुरस्कारों का चयन पूरी पारदर्शिता के साथ किया गया है। उन्होंने सभी चयनित विभूतियों व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बधाई देते हुए कहा कि इससे अन्य महिलाएं भी प्रेरित होंगी।
उत्तराखंड बहुत से वीर-वीरांगनाओं की प्रसूता भूमि रही हैं। जिन्होंने अपने अदम्य शौर्य का परिचय देकर अपना नाम इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज कराया हैं। ऐसी ही एक महान वीरांगना का नाम हैं तीलू रौतेली। जिनके नाम पर प्रदेश में प्रतिवर्ष कुछ महिलाओं को पुरस्कृत भी किया जाता हैं। प्रतिवर्ष आठ अगस्त को उनका जन्मदिवस मनाया भी जाता हैं। तीलू रौतेली एक ऐसा नाम हैं जो रानी लक्ष्मीबाई, दुर्गावती, चांदबीबी, जियारानी जैसी पराक्रमी महिलाओं में अपना एक उल्लेखनीय स्थान रखता हैं। 15 से 20 वर्ष की आयु में सात युद्ध लड़ने वाली तीलू रौतेली संभवत विश्व की एक मात्र वीरागना है।
इस मौके पर रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ, उत्तराखंड संस्कृति साहित्य एवं कला परिषद की उपाध्यक्ष मधु भट्ट आदि मौजूद रहे।