उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित माणा क्षेत्र में शुक्रवार को हुए भीषण हिमस्खलन के बाद कई मजदूर बर्फ में फंस गए। इस आपदा के बाद राज्य और केंद्र सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बचाव कार्य शुरू किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बातचीत कर हालात का जायजा लिया और हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री धामी स्वयं मौके पर पहुंचे और बचाव अभियान की निगरानी की।

बचाव अभियान की शुरुआत—
सुबह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चमोली जिले के माणा में हुए हिमस्खलन को लेकर आपदा प्रबंधन अधिकारियों से जानकारी ली और तुरंत देहरादून से माणा के लिए रवाना हुए। उनके साथ गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे भी मौजूद थे। भारत-चीन सीमा पर स्थित इस सीमांत जिले में हिमस्खलन के बाद बचाव कार्य तेज कर दिया गया। बर्फ में फंसे मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए मौसम खुलते ही भारतीय सेना, आईटीबीपी, एसडीआरएफ और अन्य बचाव एजेंसियों ने राहत अभियान शुरू किया।

बचाव अभियान का विस्तार—
एसडीआरएफ मुख्यालय जौलीग्रांट से अलर्ट जारी कर तीन हाई एल्टीट्यूड रेस्क्यू टीमों को जौलीग्रांट, सहस्रधारा और गोचर में तैनात किया गया। जैसे ही मौसम साफ हुआ, हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू उपकरणों के साथ बचाव दल रवाना हुए।

गोचर और सहस्रधारा में आठ-आठ सदस्यीय दो टीमें तैनात की गईं। जौलीग्रांट मुख्यालय में दस सदस्यीय बटालियन की एक टीम को बचाव अभियान में लगाया गया। इन टीमों को सैटेलाइट फोन और बर्फ में बचाव कार्य के लिए जरूरी उपकरणों से लैस किया गया। एम्स ऋषिकेश और अन्य अस्पतालों को घायलों के उपचार के लिए अलर्ट पर रखा गया। बचाव अभियान के दौरान कई बार खराब मौसम के कारण अभियान में रुकावटें आईं, लेकिन बचाव दल लगातार प्रयासरत रहे। भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टरों की भी मदद ली गई।

रेस्क्यू अभियान की प्रगति—
सुबह से दस मजदूरों को सफलतापूर्वक बर्फ से बाहर निकाला गया। अब तक कुल 49 मजदूरों को सुरक्षित बचा लिया गया है। एक मजदूर की मौत की पुष्टि हुई, जबकि एक की हालत गंभीर है। बर्फ में फंसे अन्य पांच मजदूरों की तलाश जारी है। आईटीबीपी और सेना के जवानों ने युद्धस्तर पर बचाव अभियान चलाया। बर्फ में दबे मजदूरों की स्थिति का पता लगाने के लिए ग्राउंड पेनीट्रेशन रडार (जीपीआर) का उपयोग किया जा रहा है। आर्मी के स्निफर डॉग्स को भी कंटेनरों की तलाश के लिए तैनात किया गया। बचाव दल ने अत्यधिक ठंड और बर्फबारी के बावजूद अभियान जारी रखा, जिससे कई मजदूरों को सुरक्षित निकाला जा सका।

सीएम धामी का निरीक्षण और निर्देश—
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ आर्मी हेलीपैड पहुंचकर घायलों का हालचाल जाना। इसके बाद उन्होंने चमोली में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का निरीक्षण किया और फिर देहरादून स्थित आपदा नियंत्रण कक्ष पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि:
- अत्यधिक बर्फबारी के कारण संपर्क कट चुके गांवों में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
- प्रभावित मजदूरों और उनके परिजनों को हरसंभव सहायता दी जाए।
- हिमस्खलन की संभावनाओं को देखते हुए ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अलर्ट जारी किया जाए।
- औली, हर्षिल और अन्य उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ठहरे सैलानियों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाए।
- अलकनंदा नदी के जमने से संभावित खतरे का आकलन कर आवश्यक कदम उठाए जाएं।
मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबंधन विभाग को निर्देश दिए कि हिमस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस योजना तैयार की जाए।

केंद्र सरकार का सहयोग—
गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और राज्य सरकार को हर संभव सहायता प्रदान कर रहे हैं। सेना और वायुसेना की टीमें भी बचाव कार्य में सहयोग कर रही हैं। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) को भी राहत एवं बचाव कार्यों में सहायता के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया गया है।

माणा हिमस्खलन के बाद राज्य और केंद्र सरकार के संयुक्त प्रयासों से अब तक 49 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है, जबकि पांच की तलाश जारी है। बचाव दल पूरी तत्परता के साथ कार्य कर रहे हैं, और उम्मीद है कि सभी मजदूरों को जल्द ही सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और राहत कार्यों को सुचारू रूप से संचालित कर रहे हैं।