सिलक्यारा की सुरंग में गुजरे 12 दिन वहां फंसे श्रमिकों, उनके स्वजन और बचाव एजेंसियों के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहे। राहत व बचाव कार्य शुरू हुआ तो अड़चने आने लगीं। कभी पाइप आगे नहीं बढ़ा, तो कभी लोहे के टुकड़ों ने राह रोकी। जब बचाव का समय निकट आया, तो उम्मीद से अधिक समय लगने लगा। अभी भी ये 41 मजदूर सुरंग के बीच फंसे हैं। गुरुवार को इन मजदूरों के निकलने की उम्मीद तो थी, लेकिन रेस्क्यू में आ रही अचड़चन से अभी और इंतजार करना पड़ रहा है। पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि हमें उम्मीद है कि हम आज शाम तक मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा।
सिलक्यारा (उत्तरकाशी) में निर्माणाधीन सुरंग में चल रहे राहत एवं बचाव कार्यों की जमीनी स्तर पर मॉनिटरिंग करने के साथ ही मातली में स्थापित अस्थायी मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय से सभी सरकारी कामकाज संचालित कर रहा हूँ।
बचाव अभियान गतिमान है और जल्द ही सारी बाधाओं को पार कर सभी श्रमिक…
— Pushkar Singh Dhami (Modi Ka Parivar) (@pushkardhami) November 24, 2023
इन कठिन परिस्थितियों ने श्रमिकों, उनके स्वजनों और बचाव कार्यों में लगी एजेंसियों के धैर्य की जम कर परीक्षा ली, लेकिन सभी ने अपना हौसला बनाए रखा है। परिवार वालों को अपनों के बाहर आने का इंतजार है, तो वहीं प्रशासन रेस्क्यू में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा
दिवाली वाले दिन हुआ हादसा–
पूरा देश जहां 12 नवंबर को दीपोत्सव मना रहा था, वहीं सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में भूस्खलन के कारण यहां का नजारा अलग था। स्थानीय ग्रामीणों ने इस घटना के कारण दीपावली के पूर्व में पूजा तो की लेकिन पटाखों से दूरी बनाए रखी। वहीं, सुरंग में फंसे श्रमिकों के स्वजन तक जैसे ही इसकी सूचना पहुंची, तो वे भी अपनों की सलामती को लेकर फिक्रमंद हो उठे। धीरे-धीरे स्वजन घटना स्थल पर पहुंचने लगे। साथ ही सरकार व बचाव एजेंसियां भी राहत व बचाव कार्य के लिए सक्रिय हो गई।
#WATCH | Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel incident | The brother of a trapped worker, Haridwar Sharma says, "My younger brother, Sushil Sharma, is inside. I had a conversation with him this morning around 8 am… Everyone is fine inside, and there are facilities. I asked him if… pic.twitter.com/Cb1AoXYzK9
— ANI (@ANI) November 24, 2023
एनडीआरएफ की टीम मौके पर बुलाई गई और विशेषज्ञ एजेंसियों से संपर्क साधा गया। इसके साथ ही शुरू हुआ सुरंग में पाइप डालने का काम। इस बीच सुरंग में पहले से ही बिछी दो इंच की पाइपलाइन के जरिये श्रमिकों को आक्सीजन के साथ ही सूखे मेवे, चने, मुरमरों व दवाओं की आपूर्ति की गई। यह पाइप बातचीत का भी माध्यम बना। इससे बात कर ही सबसे पहले पता चला की भीतर 40 नहीं 41 श्रमिक हैं और सभी सुरक्षित हैं। सुरंग के भीतर से ही निकासी सुरंग बनाने का कार्य शुरू किया गया तो उम्मीदों की किरण दिखने लगी। यद्यपि एक बार फिर प्रकृति ने सभी के धैर्य की परीक्षा ली और 22 मीटर तक जाने के बाद इसमें 900 एमएम के पाइप डालने का कार्य रुक गया। ऐसे में सुरंग में फंसे श्रमिक व उनके स्वजन बेचैन हो उठे।
उत्तरकाशी (उत्तराखंड): एनडीआरएफ ने फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के लिए पाइपलाइनों के माध्यम से व्हीलड स्ट्रेचर ले जाने का डेमो दिखाया। pic.twitter.com/DH6uiJgYS0
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 24, 2023
बचाव अभियान अपने अंतिम चरण में है–
आज पूरी रात भी बचाव कार्य जारी रहा। इससे पहले गुरुवार को गंभीर परिस्थितियों को देखते हुए देश-विदेश से विशेषज्ञ बुलाए गए। फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए छह कार्ययोजना बनाई गई। इस बीच मुख्य सुरंग से लाइफलाइन पाइप अंदर पहुंचाया गया। इससे पका खाना और दवाएं श्रमिकों तक भेजी गईं। इससे उम्मीदें बढ़ी और हौसला मजबूत हुआ। आखिरी चरण में भी सुरंग के भीतर का कार्य प्रभावित हुआ लेकिन इससे किसी के हौसले डगमगाए नहीं। पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि हमें उम्मीद है कि हम आज शाम तक मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा।