पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और उनके करीबियों के ठिकाने पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने आज छापा मारा है। मलिक के खिलाफ जम्मू-कश्मीर के किरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के भ्रष्टाचार के मामले में एक्शन हो रहा है। जाट परिवार से आने वाले सत्यपाल मलिक देश की राजनीति की लगभग हर विचारधारा के हिस्सेदार रहे हैं, जिनमे मुख्य रूप से समाजवादी, कांग्रेस, जनता दल, बीजेपी भी शामिल है। इन सबके बीच पूर्व राज्यपाल ने प्रतिक्रिया दी है। सोशल मीडिया साइट एक्स पर उनके आधिकारिक अकाउंट से उनका बयान जारी हुआ।
पिछले 3-4 दिनों से मैं बिमार हूं ओर हस्पताल में भर्ती हूं। जिसके वावजूद मेरे मकान में तानाशाह द्वारा सरकारी एजेंसियों से छापे डलवाएं जा रहें हैं। मेरे ड्राईवर, मेरे साहयक के ऊपर भी छापे मारकर उनको बेवजह परेशान किया जा रहा है।
में किसान का बेटा हूं, इन छापों से घबराऊंगा नहीं। में…— Satyapal Malik 🇮🇳 (@SatyapalmalikG) February 22, 2024
उनके अकाउंट से लिखा गया- “पिछले 3-4 दिनों से मैं बीमार हूं और अस्पताल में भर्ती हूं. जिसके बावजूद मेरे मकान में तानाशाह द्वारा सरकारी एजेंसियों से छापे डलवाए जा रहे हैं। मेरे ड्राईवर, मेरे साहयक के ऊपर भी छापे मारकर उनको बेवजह परेशान किया जा रहा है। में किसान का बेटा हूं, इन छापों से घबराऊंगा नहीं। में किसानों के साथ हूं”—- सत्यपाल मलिक (पूर्व गवर्नर)
77 साल के सत्यपाल मलिक एक बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं। मलिक के जम्मू कश्मीर का उपराज्यपाल रहते ही 5 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला किया था। वह बिहार, ओडिशा, गोवा और मेघालय के गवर्नर भी रह चुके हैं।
जाट परिवार से आने वाले सत्यपाल मलिक देश की राजनीति की लगभग हर विचारधारा के हिस्सेदार रहे हैं। समाजवादी, कांग्रेस, जनता दल, बीजेपी। जाट किसान परिवार से आने वाले सत्यपाल की पैदाइश वेस्ट यूपी की है। लोहिया के समाजवाद से प्रभावित होकर बतौर छात्र नेता अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले सत्यपाल मलिक ने 70 के दशक में कांग्रेस विरोध की बुनियाद पर यूपी में नई ताकत बनकर उभर रहे चौधरी चरण सिंह का साथ पकड़ा।
1974 में चौधरी चरण सिंह ने भारतीय क्रांति दल से सत्यपाल मलिक को टिकट दिया और 28 साल की उम्र में सत्यपाल विधायक चुन लिए गए। हालांकि सत्यपाल को जब यह अहसास हुआ कि चौधरी साहब का साथ उन्हें महज पश्चिमी यूपी की राजनीति तक ही सीमित रखेगा, तो वे कांग्रेस विरोध छोड़कर कांग्रेस में ही शामिल हो गए। साल 1984 में राज्यसभा पहुंचे।
अगले ही कुछ सालों के भीतर कांग्रेस का साथ छोड़कर सत्यपाल जनता दल में आ गए। सांसद बने और वीपी सरकार में मंत्री भी रहे। साल 1989 से 1991 के बीच वह अलीगढ़ संसदीय सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा सदस्य भी निर्वाचित हुए। वह बाद में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी उठा चुके हैं।
बता दें कि किसान आंदोलन, धारा 370 और अग्निपथ योजनाओं को लेकर सत्यपाल मलिक ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर लगातार हमलावर रुख अपनाए रखा। वहीं अभी हाल ही में चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने के फैसले पर उन्होंने तारीफ भी की थी।