रविवार को नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेकर इतिहास रच दिया। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद लगातार तीसरी बार पीएम बनने वाले मोदी दूसरे शख्स हैं। पीएम मोदी के साथ 71 मंत्रियों ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली। उत्तराखंड से भी अजय टम्टा को राज्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई।
लोकसभा चुनाव में अल्मोड़ा सीट पर हैट्रिक लगाने वाले सांसद अजय टम्टा ने दोबारा केंद्र सरकार में मंत्री बनने में सफलता हासिल की है। केंद्र से लेकर प्रदेश की राजनीति में वह जातीय समीकरणों में फिट बैठे जिसका लाभ उन्हें और प्रदेश को मिला है। आइये जानते हैं किस वजह से अजय टम्टा का पलड़ा भारी रहा।
जातीय समीकरण—
उत्तराखंड भाजपा में जातीय समीकरणों के लिहाज से अजय टम्टा का पलडा भारी पड़ा। अनुसूचित जाति वर्ग का सांसद होने के कारण टम्टा को दूसरी बार मंत्रिमंडल में शामिल होने का मौका मिला। प्रदेश में ठाकुर सीएम, ब्राह्मण प्रदेश अध्यक्ष की परिपाटी रही है। ये भी कयास लगाए जा रहे थे कि कुमाऊं से सीएम हैं तो केंद्र में मंत्री पद का कोटा गढ़वाल के हिस्से आ सकता है, लेकिन अनुसूचित जाति वर्ग के सांसद टम्टा को कैबिनेट में जगह देकर पीएम मोदी ने एक साथ सभी जातियों को साधने का प्रयास किया।
वोटरों पर मजबूत पकड़—
उत्तराखंड में लगातार तीसरी बार भाजपा ने सभी 5 सीटों पर क्लीन स्वीप किया है। लेकिन इस दौरान कुछ सीटों पर पॅत्याशी बदले गए, तो कहीं हार जीत का अंतर खिसका है। लेकिन पिछले तीन लोकसभा चुनाव में अल्मोड़ा सीट पर अजय टम्टा ने वोटरों के बीच अपनी गहरी पैठ बनाई है। टम्टा कीजीत का अंतर लगातार बढ़ता ही गया। 2014 में टम्टा ने जहां 53 फीसदी वोट हासिल किए थे तो 2019 में ये आंकडा बढ़कर 64 फीसदी हो गया। 10 साल की एंटी इनकंबेंसी के बावजूद 2024 के चुनाव में अल्मोड़ा सीट पर टम्टा का वोट शेयर 64.2 फीसदी रहा। यानी चुनाव कोई भी रहा हो, टम्टा की वोटरों पर पकड़ बनी रही।
विवादों से दूर—
अजय टम्टा विवादों से दूर रहते हैं। सादा पहाड़ीपन, सरल स्वभाव और बेदाग छवि पीएम मोदी को भाई। 29 साल के राजनीतिक सफर में निर्विवाद रहकर पार्टी को मजबूत करने का काम किया। जनता के बीच भी उनकी गहरी पकड़ रही है। यही कारण रहा कि उन्हें लगातार तीसरी बार जनता ने रिकॉर्ड मत देकर दिल्ली भेजा।
कामकाजी अनुभव—
अजय टम्टा को 2014 में भी मोदी कैबिनेट में राज्यमंत्री बनाया गया था। इससे पहले टम्टा दो बार सोमेश्वर से विधायक भी रह चुके हैं। उत्तराखंड सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। इस सबका अनुभव होने के कारण उन्हें मंत्रिमंडल में अन्य 4 सांसदों पर तरजीह दी गई।
सीएम धामी से करीबी—
उत्तराखंड से पांचों सीटें जिताकर सीएम पुष्कर सिंह धामी पीएम मोदी की गुडबुक मे लगातार छाए हुए हैं। अजय टम्टा भी सीएम धामी के करीबी माने जाते हैं। सीएम ने सबसे ज्यादा रैलियां भी अजय टम्टा के लिए ही की थी। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए अगर सीएम की राय ली गई होगी तो सीएम ने अजय टम्टा के नाम को तवज्जो दी होगी। इस वजह से भी अजय टम्टा का पलडा अन्य सांसदों पर भारी पड़ा।