केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव की गतिविधियां तेज हो गई हैं, जहां विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है। इस उपचुनाव में बीजेपी, कांग्रेस, उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी), और निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच मुकाबला हो रहा है, जिससे क्षेत्र की राजनीति गरमा गई है।
बीजेपी की ओर से प्रत्याशी: आशा नौटियाल—
भाजपा ने महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक आशा नौटियाल को प्रत्याशी बनाया है। आशा नौटियाल ने वर्ष 2002 में पहली बार केदारनाथ विधानसभा से जीत दर्ज की थी और 2017 के बाद एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरी हैं। नामांकन के दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी, और अन्य वरिष्ठ नेता उनके समर्थन में मौजूद रहे। जनसभा में मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्तराखंड के विकास की बात करते हुए जनता से आशा नौटियाल को भारी मतों से विजयी बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि भाजपा ने हमेशा केदारनाथ और केदारघाटी के विकास को प्राथमिकता दी है, और यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।
कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी: मनोज रावत—
कांग्रेस ने पूर्व विधायक मनोज रावत पर भरोसा जताया है। यह उनके लिए एक अहम मौका है, क्योंकि वह लगातार तीसरी बार कांग्रेस हाईकमान का विश्वास हासिल करने में सफल हुए हैं। नामांकन के दिन देहरादून से पहुंचे कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति रही। मनोज रावत ने भाजपा पर केदारनाथ यात्रा को डाइवर्ट कर छोटे व्यापारियों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया और जनता से भाजपा को सबक सिखाने की अपील की।
उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) की ओर से प्रत्याशी: डॉ. आशुतोष भंडारी—
यूकेडी ने डॉ. आशुतोष भंडारी को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिन्होंने परंपरागत वाद्य यंत्रों के साथ जुलूस निकालते हुए नामांकन किया। उनके साथ पार्टी अध्यक्ष पूरन सिंह कठैत समेत कई कार्यकर्ता भी मौजूद थे। उन्होंने उत्तराखंड राज्य में मूल निवास 1950, भू कानून, राजधानी गैरसैंण, और यूसीसी ड्राफ्ट में संशोधन जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाने की बात कही।
निर्दलीय प्रत्याशी: त्रिभुवन सिंह चौहान—
त्रिभुवन सिंह चौहान ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया। परंपरागत धोती-कुर्ता पहन कर पहुंचे चौहान ने कहा कि केदारनाथ घाटी के लोग त्रासदी और रोजगार की चुनौतियों से जूझ रहे हैं, और वह इन समस्याओं के समाधान के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। उनके नामांकन के दौरान भीड़ ने उत्साहपूर्वक समर्थन किया।
चुनावी परिदृश्य और मुकाबले की स्थिति—
केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता रहा है। 2002 और 2007 के चुनावों में यहां भाजपा को जीत मिली थी, जबकि 2012 में कांग्रेस ने इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत की। 2017 में भाजपा की लहर के बावजूद कांग्रेस के मनोज रावत ने जीत हासिल की थी। अब 2024 के इस उपचुनाव में, भाजपा के आशा नौटियाल और कांग्रेस के मनोज रावत के बीच मुख्य टक्कर है, जबकि यूकेडी और निर्दलीय उम्मीदवार त्रिभुवन सिंह चौहान भी चुनावी गणित में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
क्षेत्र में जनसभा और चुनावी माहौल—
नामांकन के बाद क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी और बढ़ गई है। ऊखीमठ बाजार में नामांकन के दिन बड़ी संख्या में लोग जुटे, जिससे बाजार में रौनक देखने को मिली। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में आयोजित जनसभा में भाजपा ने विकास योजनाओं और प्रधानमंत्री मोदी के विजन पर जोर दिया, वहीं कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर स्थानीय व्यापारियों और केदारनाथ यात्रा के मुद्दों पर आड़े हाथों लिया।
भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए यह उपचुनाव महत्वपूर्ण है। भाजपा जहां अपने प्रत्याशी को भारी मतों से जिताने की कोशिश में है, वहीं कांग्रेस का प्रयास अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराने का है। यह उपचुनाव क्षेत्र के विकास, जन समस्याओं, और सरकार की नीतियों के आधार पर मतदाताओं की राय को प्रतिबिंबित करेगा, और इसके नतीजे भविष्य की राजनीति पर गहरा असर डाल सकते हैं।