उत्तराखंड के चमोली जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें 10वीं कक्षा के एक छात्र ने ऑनलाइन गेमिंग और ट्रेडिंग की लत के चलते अपने ही घर में 40 लाख रुपये की चोरी करवाई। नैनीताल के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने वाले इस छात्र ने अपने दो नाबालिग दोस्तों के साथ मिलकर यह चोर योजना बनाई थी। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और तकनीकी जांच के आधार पर तीनों को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, चोरी के पीछे मुख्य कारण छात्र का ऑनलाइन गेमिंग, ट्रेडिंग और महंगे शौकों की बढ़ती लत थी। लंबे समय से ऑनलाइन गेमिंग में व्यस्त इस छात्र ने कई लोगों से उधार ले रखा था, और उसे लगातार पैसे लौटाने का दबाव झेलना पड़ रहा था। इसी दबाव से छुटकारा पाने के लिए उसने अपने दोस्तों को चोरी के लिए राजी कर लिया। छात्र ने अपनी मां की अनुपस्थिति में यह योजना बनाई और दोस्तों को घर में बुलाकर लाखों के गहनों की चोरी करवाई।
बढ़ते इंटरनेट उपयोग और स्मार्टफोन की उपलब्धता के कारण ऑनलाइन गेमिंग और जुए का क्रेज़ बढ़ता जा रहा है। हाल के शोधों से पता चला है कि यह लत लोगों की ज़िंदगी को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है। मनोरंजन के लिए शुरू किया गया यह शौक धीरे-धीरे लत में बदल जाता है, और लोग इस पर इतना खर्च करने लगते हैं कि कंगाल होने की स्थिति तक पहुँच जाते हैं। कुछ मामलों में तो लोग आर्थिक संकट में आने के बाद मानसिक दबाव में आत्महत्या तक कर लेते हैं।
तमिलनाडु में इस समस्या से निपटने के लिए तमिलनाडु प्रोहिबिशन ऑफ ऑनलाइन गैंबलिंग एंड रेग्युलेशन ऑफ ऑनलाइन गेम्स एक्ट, 2022 लागू किया गया है, जिसके तहत समय, पैसे और उम्र की सीमा तय करने के उपाय शामिल हैं। इसमें ऑनलाइन जुआ सेवाओं में लिप्त लोगों को तीन साल की सजा और 10 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। इसी तरह, आंध्र प्रदेश में भी ऑनलाइन जुआ और गेमिंग पर प्रतिबंध लगा हुआ है, और सिक्किम, नागालैंड व मेघालय में इन खेलों के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती है।
1996 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में ऑनलाइन रमी और पोकर को दक्षता वाले खेल का दर्जा दिया गया था, जिससे इनके प्रतिबंध में कठिनाइयाँ आती हैं। फिर भी राज्य सरकारें इन खेलों के दुष्प्रभावों को देखते हुए इन पर नियंत्रण की कोशिश कर रही हैं।
यह घटना समाज में बढ़ती ऑनलाइन गेमिंग की लत का एक उदाहरण है। विशेषज्ञों का मानना है कि माता-पिता और शिक्षकों को इस दिशा में सतर्कता बरतनी चाहिए और बच्चों के ऑनलाइन गतिविधियों पर ध्यान रखना चाहिए। ऑनलाइन जुआ के कारण न केवल युवाओं का भविष्य दांव पर लग रहा है, बल्कि उनके परिवारों को भी आर्थिक और मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इस प्रकार, ऑनलाइन गेमिंग की लत को केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि समाजिक मुद्दा मानते हुए तत्काल और प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।