देहरादून/ उत्तराखंड सरकार की सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक सौंग बांध पेयजल परियोजना पर कार्रवाई तेज़ी से शुरू होने जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर परियोजना को लेकर महत्वपूर्ण निर्देश दिए। उन्होंने परियोजना से प्रभावित परिवारों के विस्थापन की प्रक्रिया को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने पर जोर दिया।
दो जिलों के 275 परिवार होंगे विस्थापित—
सौंग बांध परियोजना से देहरादून और टिहरी जिलों के कुल 275 परिवार प्रभावित होंगे। देहरादून के एक गांव और टिहरी के चार गांवों के इन परिवारों का पुनर्वास नीति 2022 के तहत विस्थापन किया जाना है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रभावित परिवारों को सहमति के आधार पर भूमि उपलब्ध कराई जाए और उनकी सभी मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखा जाए।
11 लाख आबादी को मिलेगा पेयजल—
करीब 2021 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस परियोजना से 11 लाख लोगों को साल 2053 तक 150 एमएलडी पेयजल उपलब्ध होगा। यह परियोजना देहरादून और आसपास के इलाकों की पेयजल समस्या को दूर करेगी। सीएम धामी ने बताया कि गुरुत्वाकर्षण आधारित इस परियोजना से नलकूपों पर निर्भरता खत्म होगी, जिससे भूजल दोहन में भारी कमी आएगी और भूजल स्तर बढ़ेगा।
6 मेगावाट बिजली और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा—
सौंग नदी पर बनने वाला यह बांध न केवल जल आपूर्ति सुनिश्चित करेगा बल्कि 6 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी करेगा। इसके लिए बांध के पास कुमाल्दा गांव में एक बिजलीघर बनाया जाएगा। इसके अलावा, झील निर्माण से क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों में इजाफा होगा, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
बाढ़ नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण—
सौंग बांध परियोजना से हर साल सौंग नदी में आने वाली बाढ़ से देहरादून जिले के 10 गांवों की 15,000 आबादी को सुरक्षा मिलेगी। यह परियोजना पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने और भूजल स्तर बढ़ाने में मददगार होगी।
विस्थापन के लिए 247 करोड़ का बजट—
राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन के लिए 247 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सामुदायिक भवन, मंदिर, सड़क और अन्य आवश्यक सुविधाओं का निर्माण भी समय पर सुनिश्चित किया जाए।
भविष्य की योजनाओं को मिलेगा बल—
परियोजना के शुरू होने से न केवल जल आपूर्ति व्यवस्था सुदृढ़ होगी, बल्कि नए नलकूपों और उनके संचालन-रखरखाव पर होने वाले खर्च में भी भारी कमी आएगी। झील निर्माण के बाद क्षेत्र में पर्यावरणीय संतुलन और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। सौंग बांध परियोजना उत्तराखंड के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगी और देहरादून समेत आसपास के इलाकों की पेयजल समस्या का स्थायी समाधान बनेगी।