उत्तराखंड में पंचायत चुनाव और चारधाम यात्रा के बीच टकराव, OBC आरक्षण बना बड़ी चुनौती चुनाव में देरी के आसार, प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ सकता है

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देहरादून/ उत्तराखंड में इस बार पंचायत चुनाव और चारधाम यात्रा की तैयारियों के बीच टकराव की स्थिति बनती जा रही है। पंचायत चुनाव की प्रक्रिया जहां आरंभ होनी थी, वहीं चारधाम यात्रा की तैयारियों ने शासन-प्रशासन को एक नई दुविधा में डाल दिया है। इसके साथ ही OBC आरक्षण को लेकर आवश्यक संशोधन और कैबिनेट की चुप्पी ने चुनाव की राह को और भी जटिल बना दिया है।

OBC आरक्षण में देरी से अटका चुनावी शेड्यूल

मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में पंचायत एक्ट में OBC आरक्षण के लिए जरूरी अध्यादेश पर चर्चा नहीं हुई। इसके चलते चुनावी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई। वर्तमान में हरिद्वार को छोड़कर प्रदेश के 12 जिलों में पंचायत चुनाव होने हैं, लेकिन आरक्षण प्रक्रिया अधूरी है।

आरक्षण तय करने की प्रक्रिया में पंचायत एक्ट में संशोधन, शासनादेश, आरक्षण प्रतिशत का निर्धारण, प्रारंभिक सूची का प्रकाशन, आपत्तियों की समीक्षा और अंतिम आरक्षण तय करने जैसी कई चरणबद्ध प्रक्रियाएं शामिल हैं, जिनमें काफी समय लग सकता है।

राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने साफ किया है कि जब तक सरकार आरक्षण तय नहीं करती, तब तक चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं की जा सकती।

चारधाम यात्रा बनी प्रशासनिक प्राथमिकता

उत्तराखंड की चारधाम यात्रा 30 अप्रैल 2025 से शुरू हो रही है। यात्रा के दौरान यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन और पुलिस की पूर्ण तैनाती जरूरी होती है।

इस स्थिति में पंचायत चुनाव कराने के लिए संसाधन जुटाना कठिन होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि मई-जून जैसे पीक सीजन में चुनाव कराना अव्यवहारिक होगा।

प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ सकता है

वर्तमान में जिला पंचायतों में तैनात प्रशासकों का कार्यकाल 1 जून को समाप्त हो रहा है। लेकिन यदि चुनाव की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई, तो प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।

विभागीय सचिव चंद्रेश कुमार ने कहा है कि चुनाव कराने के लिए न्यूनतम 28 दिन की अवधि चाहिए, और विभाग इस दिशा में तैयारी कर रहा है। लेकिन यात्रा के बीच समय निकालना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती होगी।

चुनाव की तारीखें जून के बाद संभव

विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि सरकार अप्रैल के अंत तक आरक्षण प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाती, तो पंचायत चुनाव जून के बाद ही कराए जा सकेंगे।

हालांकि निर्वाचन आयोग का कहना है कि चुनाव समय पर कराने की कोशिश की जाएगी, बशर्ते सरकार समय रहते आरक्षण तय कर दे। वोटर लिस्ट का अंतिम प्रकाशन 13 जनवरी 2025 को हुआ था, लेकिन जब तक आरक्षण तय नहीं होगा, तब तक चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं की जा सकती।

क्या हैं मुख्य चुनौतियाँ:

  • OBC आरक्षण में देरी: पंचायत एक्ट में संशोधन, आरक्षण प्रतिशत निर्धारण और अधिसूचना का इंतजार।

  • चारधाम यात्रा की प्राथमिकता: यात्रा के दौरान प्रशासनिक संसाधनों की भारी मांग।

  • प्रशासकों का कार्यकाल: चुनाव में देरी हुई तो प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाना होगा।

  • राजनीतिक और सामाजिक दबाव: चुनाव और यात्रा दोनों राज्य के लिए संवेदनशील मुद्दे हैं।


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