देहरादून, 1 जुलाई/ 12 जून को देहरादून पहुंचे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के दौरे के दौरान निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन न होने को लेकर उत्तराखंड शासन ने सख्ती दिखाई है। इस मामले में शासन के प्रोटोकॉल विभाग ने देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल से स्पष्टीकरण तलब किया है। आरोप है कि न केवल जिलाधिकारी ने निर्धारित शिष्टाचार का पालन नहीं किया, बल्कि लोकसभा अध्यक्ष के स्टाफ के फोन कॉल्स को भी नज़रअंदाज़ किया गया।

प्रोटोकॉल विभाग की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि लोकसभा सचिवालय ने शिकायत की है कि देहरादून दौरे के दौरान लोकसभा अध्यक्ष को अपेक्षित सम्मान और स्वागत नहीं दिया गया। इसी संबंध में भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने भी 19 जून को पत्र जारी कर अपनी चिंता जताई थी।
फोन कॉल्स को किया गया अनसुना
सूत्रों के अनुसार, लोकसभा अध्यक्ष के स्टाफ द्वारा जिलाधिकारी देहरादून से 10 और 11 जून को मोबाइल और लैंडलाइन पर सात बार संपर्क करने का प्रयास किया गया। परंतु मीटिंग में व्यस्त होने की बात कहकर डीएम कार्यालय की ओर से कोई उत्तर नहीं दिया गया। बाद में जब यह प्रकरण मुख्यमंत्री कार्यालय के संज्ञान में लाया गया, तब जाकर जिलाधिकारी की ओर से कॉल बैक किया गया।
शासन ने मानी गंभीर लापरवाही
इस पूरे घटनाक्रम को शासन ने गंभीर लापरवाही मानते हुए जिलाधिकारी से लिखित जवाब मांगा है। प्रोटोकॉल सचिव विनोद कुमार सुमन के अनुसार, जिलाधिकारी से जवाब प्राप्त हो गया है, लेकिन इस पर आगे क्या कार्रवाई होगी, इसका विवरण अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।
डीएम नहीं पहुंचे रिसीव करने
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला 12 जून को मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में 127वें इंडक्शन ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लेने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को संबोधित भी किया। आरोप है कि इस मौके पर जिलाधिकारी न तो उन्हें रिसीव करने पहुंचे और न ही कार्यक्रम में कोई विशेष सहभागिता दिखाई गई।
शासन ने दिया स्पष्ट संकेत
शासन ने साफ किया है कि प्रोटोकॉल संबंधी मानकों के उल्लंघन को किसी भी सूरत में हल्के में नहीं लिया जाएगा। यह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि संवैधानिक पदों का सम्मान बनाए रखने का प्रश्न है।