ओबीसी आरक्षण की नई व्यवस्था लागू, छह अगस्त को अंतिम आरक्षण सूची होगी जारी

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ओबीसी आरक्षण की नई व्यवस्था लागू, छह अगस्त को अंतिम आरक्षण सूची होगी जारी

– देहरादून ब्यूरो | The Mountain Stories

उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए पंचायती राज विभाग ने पहली बार अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण व्यवस्था को औपचारिक रूप से लागू कर दिया है। यह कदम एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की सिफारिशों के आधार पर उठाया गया है, जिसने ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष पदों तक के आरक्षण की स्पष्ट रूपरेखा तैयार की है।

आयोग की सिफारिशें लागू, ओबीसी को मिला प्रतिनिधित्व

राज्य सरकार द्वारा गठित आयोग ने ओबीसी आबादी के अनुपात को ध्यान में रखते हुए आरक्षण निर्धारित किया है। सचिव पंचायती राज चंद्रेश कुमार द्वारा जारी प्रस्ताव में बताया गया है कि इस बार आबादी के आंकड़ों के अनुसार उधमसिंह नगर जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित की गई है। वर्ष 2019 में यह सीट पिथौरागढ़ में ओबीसी महिला के लिए आरक्षित थी।

आपत्तियों की अंतिम तिथि 4 अगस्त, 6 को होगा अंतिम प्रकाशन

आरक्षण सूची पर 2 से 4 अगस्त तक आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती हैं। इसके लिए इच्छुक व्यक्ति अपनी लिखित आपत्ति कार्यालय-सचिव, पंचायती राज विभाग, उत्तराखंड शासन, कक्ष संख्या-19, सोबन सिंह जीना भवन, सचिवालय परिसर, 04-सुभाष मार्ग, देहरादून पर भेज सकते हैं।
5 अगस्त को आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा, और 6 अगस्त को आरक्षण की अंतिम सूची प्रकाशित की जाएगी।

महिला प्रतिनिधित्व में मामूली गिरावट

इस बार महिला जिला पंचायत अध्यक्षों की संख्या में एक सीट की कमी आई है। फिर भी, महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देते हुए कई जिलों में उनके लिए सीटें आरक्षित की गई हैं।

2019 बनाम 2025 आरक्षण तुलना तालिका

जिला 2019 आरक्षण 2025 प्रस्तावित आरक्षण
उत्तरकाशी अनारक्षित अनारक्षित
टिहरी अनारक्षित महिला
पौड़ी अनुसूचित जाति महिला
रुद्रप्रयाग अनुसूचित जाति महिला
चमोली अनारक्षित अनारक्षित
देहरादून अनुसूचित जनजाति महिला
उधमसिंह नगर अन्य महिला पिछड़ा वर्ग
नैनीताल अन्य महिला पिछड़ा वर्ग
अल्मोड़ा अनारक्षित महिला
चंपावत अन्य महिला अनारक्षित
बागेश्वर अन्य महिला अनुसूचित जाति महिला
पिथौरागढ़ पिछड़ा वर्ग महिला अनुसूचित जाति

विश्लेषण: क्यों महत्वपूर्ण है यह बदलाव?

इस कदम से ओबीसी वर्ग को पंचायती राज प्रणाली में न्यायोचित भागीदारी मिलने की उम्मीद है। राज्य सरकार का यह प्रयास सामाजिक समरसता और समावेशी लोकतंत्र की दिशा में एक सार्थक पहल माना जा रहा है।


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