उत्तराखंड में पंचायत चुनाव का अगला चरण: जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पद के लिए भाजपा-कांग्रेस में सियासी जंग तेज

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उत्तराखंड में पंचायत चुनाव का अगला चरण: जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पद के लिए भाजपा-कांग्रेस में सियासी जंग तेज

देहरादून, 4 अगस्त 2025 | द माउंटेन स्टोरीज़ ब्यूरो
उत्तराखंड के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद अब सियासत का अगला बड़ा मोर्चा जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पद के लिए खुल गया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां इन महत्वपूर्ण पदों पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पूरी ताकत झोंक रही हैं। चुनावी रणनीति से लेकर निर्दलीय विजेताओं को साधने तक, दोनों दलों के बीच जोड़-तोड़ की राजनीति चरम पर है।

भाजपा ने शुरू की रणनीतिक बैठकें, सीएम से चर्चा

रविवार को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट और प्रदेश महामंत्री अजेय कुमार ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सीएम आवास में मुलाकात की। बैठक में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा समर्थित उम्मीदवारों की जीत की समीक्षा के साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पदों पर पार्टी की स्थिति को लेकर मंथन हुआ।

महेंद्र भट्ट ने मुख्यमंत्री को जीत के लिए बधाई देते हुए यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा जिला पंचायत और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में किसी भी स्थिति में पीछे नहीं हटेगी। पार्टी ने निर्दलीय और बागी प्रत्याशियों को साधने के लिए वरिष्ठ नेताओं को अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी सौंप दी है।

देहरादून जिले में 7 भाजपा समर्थित, 13 कांग्रेस समर्थित और 10 निर्दलीय प्रत्याशी विजयी हुए हैं। भाजपा का दावा है कि निर्दलीय सदस्य पार्टी की विचारधारा के करीब हैं और जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर उनका कब्जा तय है।

कांग्रेस ने भी कसी कमर, संभावित प्रत्याशियों की रिपोर्ट तलब

वहीं, कांग्रेस ने भी अध्यक्ष और प्रमुख पदों के लिए सक्रियता बढ़ा दी है। प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि पार्टी द्वारा सभी जिलों में तैनात पर्यवेक्षकों को संभावित प्रत्याशियों की रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए हैं। ये पर्यवेक्षक पूर्व मंत्रियों, विधायकों और नव निर्वाचित पंचायत सदस्यों से समन्वय कर संभावित प्रत्याशियों का पैनल तैयार कर प्रदेश मुख्यालय को भेजेंगे।

धस्माना ने दावा किया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा है, और यदि अध्यक्ष-पद के चुनाव पारदर्शिता से हुए तो राज्य की सियासत में बड़ा उलटफेर संभव है। उन्होंने भाजपा पर धनबल के दुरुपयोग का आरोप भी लगाया।

चुनाव प्रक्रिया: जनता नहीं, चुने हुए सदस्य करेंगे मतदान

गौरतलब है कि जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव आम जनता द्वारा नहीं, बल्कि पूर्व में चुने गए पंचायत सदस्यों द्वारा किया जाता है। यह चुनाव “एकल संक्रमणीय मत प्रणाली” (Single Transferable Vote) के तहत होता है, जिसमें हर सदस्य बैलेट पेपर के जरिए अपने पसंदीदा प्रत्याशी को वोट देता है।

फिलहाल राज्य निर्वाचन आयोग ने इन दोनों पदों के लिए आरक्षण सूची जारी कर दी है और जल्द ही चुनाव तिथियों की अधिसूचना जारी की जाएगी। इसके बाद नामांकन, मतदान और मतगणना की प्रक्रिया तय की जाएगी।

निर्दलीयों की भूमिका होगी निर्णायक

राज्य में कुल 385 जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में निर्दलीय प्रत्याशी विजयी रहे हैं। यही वजह है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों की नजरें अब निर्दलीयों पर टिकी हुई हैं। यही सदस्य यह तय करेंगे कि किस पार्टी का प्रत्याशी जिला पंचायत अध्यक्ष या ब्लॉक प्रमुख बनेगा।

इन चुनावों को केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी देखा जा रहा है। ऐसे में दोनों प्रमुख दलों के लिए यह अगला चरण इज्जत का सवाल बन चुका है।


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