गढ़वाल की धरती का गौरव: जितेन्द्र सिंह रावत को “President’s Medal for Meritorious Service”

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गढ़वाल की धरती का गौरव: जितेन्द्र सिंह रावत को “President’s Medal for Meritorious Service”

पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड — स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर, जब पूरा देश तिरंगे की शान में एकजुट होकर गर्व महसूस कर रहा था, तभी गढ़वाल की वीरभूमि ने एक और गौरवगाथा रच दी। पौड़ी गढ़वाल के नैनीडांडा ब्लॉक के छोटे से गाँव उठिन्डा के लाल जितेन्द्र सिंह रावत को उनकी अद्वितीय सेवाओं और अटूट कर्तव्यनिष्ठा के लिए President’s Medal for Meritorious Service से सम्मानित किया गया। यह केवल एक पदक नहीं, बल्कि माँ भारती के प्रति उनके समर्पण, साहस और त्याग की अमिट पहचान है।

सशस्त्र बलों की गौरवशाली परंपरा वाले परिवार में जन्मे जितेन्द्र के रग-रग में सेवा और बलिदान का भाव बचपन से ही बहता रहा। उनके पिता भी सशस्त्र बल में रहकर देश की सेवा कर चुके हैं। पारिवारिक प्रेरणा और मातृभूमि के प्रति अटूट प्रेम से प्रेरित होकर उन्होंने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में अधीनस्थ अधिकारी के रूप में सेवा यात्रा की शुरुआत की। ईमानदारी, साहस और कार्यकुशलता की मिसाल पेश करते हुए उन्होंने अपने बैच के साथियों से पहले पदोन्नति प्राप्त की—जो उनकी मेहनत और लगन का प्रमाण है।

उनकी असाधारण क्षमता और निर्भीकता को देखते हुए उन्हें देश के विशेष बल राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) में प्रतिनियुक्ति का अवसर मिला। यहाँ उन्होंने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अद्वितीय प्रदर्शन किया और कई बार प्रशंसा प्राप्त की। चाहे विपरीत मौसम हो, संवेदनशील ऑपरेशन हो, या अप्रत्याशित खतरे—जितेन्द्र हमेशा डटे रहे, मानो गढ़वाल की पहाड़ियों का अडिग हौसला उनके भीतर बसा हो।

आज उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके लिए, बल्कि उनकी स्वर्गीय माताजी, पूरे परिवार, गाँव उठिन्डा और सम्पूर्ण उत्तराखंड के लिए गर्व का क्षण है। उनके जीवन की यह यात्रा यह संदेश देती है कि अनुशासन, मेहनत और समर्पण से कोई भी ऊँचाई पाई जा सकती है।

गढ़वाल के इस सपूत ने एक बार फिर साबित कर दिया कि पर्वत की मिट्टी में जन्मा हर बेटा, देश के लिए सिर ऊँचा करके जीना और शान से मरना जानता है।


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