यूकेएसएसएससी पेपर लीक कांड: खालिद बना नया मास्टरमाइंड, हाकम सिंह की भूमिका पर उठ रहे सवाल
देहरादून: उत्तराखंड में इस वक्त अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) का पेपर लीक मामला गहराई से सुर्खियों में है। राजधानी से लेकर पर्वतीय जिलों तक युवा लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। इस बार पुलिस की जांच का केंद्र बने हैं हरिद्वार के अभ्यर्थी खालिद मलिक, जिसे इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या कुख्यात नकल माफिया हाकम सिंह और खालिद के बीच कोई संबंध है या फिर यह किसी नए गिरोह की साजिश है।
हाकम सिंह से शुरू हुई कहानी
मामला 21 सितंबर (रविवार) को होने वाली स्नातक स्तरीय परीक्षा से ठीक एक दिन पहले, 20 सितंबर की रात से शुरू होता है। परीक्षा से पहले ही सोशल मीडिया पर कुछ ऑडियो-वीडियो वायरल हुए, जिनमें नकल की संभावनाओं का जिक्र था। इसके बाद एसटीएफ और देहरादून पुलिस हरकत में आई और कुख्यात नकल माफिया हाकम सिंह तथा उसके सहयोगी पंकज गौड़ को गिरफ्तार किया गया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस ने दावा किया था कि दोनों ने कुछ युवाओं से 15-15 लाख रुपये वसूलने का प्रयास किया था। लेकिन उस वक्त पेपर लीक की बात सामने नहीं आई थी।
21 सितंबर को मच गया हंगामा
रविवार सुबह 11 बजे पूरे प्रदेश में 400 से अधिक परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा शुरू हुई। कुछ देर बाद ही प्रश्नपत्र के तीन पन्ने बाहर आ गए। देखते ही देखते मामला तूल पकड़ गया और शासन-प्रशासन हड़कंप में आ गया।
प्रोफेसर सुमन चौहान और साबिया का नाम आया सामने
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि प्रश्नपत्र के तीनों पन्ने सबसे पहले असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन चौहान के पास पहुंचे। उन्हें यह फोटो साबिया नाम की युवती ने भेजी थी। साबिया को यह फोटो उसके भाई खालिद मलिक ने भेजे थे। खालिद ने साबिया से कहा था कि इन्हें प्रोफेसर को भेजकर उत्तर निकलवाए जाएं।
कैसे किया खालिद ने खेल?
पुलिस जांच से सामने आया कि खालिद हरिद्वार के आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज, बहादुरपुर जट केंद्र पर परीक्षा दे रहा था। यह केंद्र 18 कमरों में बंटा था, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि तीन कमरों (नंबर 9, 17 और 18) में जैमर काम नहीं कर रहे थे। खालिद कमरे नंबर 9 में बैठा था।
परीक्षा शुरू होने के लगभग आधे घंटे बाद वह इंविजिलेटर से अनुमति लेकर वॉशरूम गया और प्रश्नपत्र अपने साथ ले गया। वहां जाकर उसने प्रश्नपत्र के तीन पन्नों की फोटो खींचकर बहन साबिया को भेज दी। साबिया ने फोटो प्रोफेसर सुमन को भेजी और उत्तर प्राप्त करने का प्रयास किया।
गिरफ्तारी और पुलिस की पड़ताल
मामला सामने आने पर खालिद लखनऊ भाग गया, लेकिन बाद में उसे हरिद्वार से गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि पुलिस को अभी तक उसका मोबाइल फोन नहीं मिला है। पुलिस का मानना है कि मोबाइल से कई अहम राज सामने आ सकते हैं।
देहरादून एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि अब तक की जांच में खालिद और हाकम सिंह के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध सामने नहीं आया है। खालिद किसी अन्य गिरोह के टच में है, इसका भी सबूत अभी तक नहीं मिला है। इसके बावजूद पुलिस हर एंगल से जांच कर रही है। कॉल डिटेल्स और लोकेशन खंगाले जा रहे हैं।
जेल में अलहदा बैरक में रखे गए आरोपी
फिलहाल खालिद, हाकम सिंह और पंकज गौड़ तीनों देहरादून जेल में बंद हैं। लेकिन जेल प्रशासन ने खास सतर्कता बरतते हुए उनकी बैरकें अलग-अलग रखी हैं। खालिद को क्वारंटीन बैरक में रखा गया है ताकि ये तीनों आपस में संपर्क न कर सकें।
कार्रवाई की चपेट में आए कई लोग
अब तक इस मामले में मुख्य आरोपी खालिद और उसकी बहन साबिया गिरफ्तार हो चुके हैं। वहीं, उच्च शिक्षा विभाग ने प्रोफेसर सुमन चौहान को निलंबित कर दिया है।
इसी कड़ी में सरकार ने जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (DRDA) के परियोजना निदेशक के.एन. तिवारी को भी निलंबित किया है। उन पर परीक्षा की सुचिता बनाए रखने में लापरवाही बरतने का आरोप है।
हरिद्वार एसएसपी प्रमेंद्र डोबाल ने इस मामले में सब इंस्पेक्टर रोहित कुमार और कांस्टेबल ब्रह्मदत्त को भी निलंबित किया है, जिनकी ड्यूटी परीक्षा केंद्र में थी।
एसआईटी की जांच तेज
पेपर वायरल प्रकरण की जांच अब एसआईटी के हाथों में है। शनिवार को टीम खालिद के सुल्तानपुर स्थित घर पहुंची। टीम ने घर की तलाशी ली, परिजनों से पूछताछ की और कुछ अहम दस्तावेज जब्त किए। माना जा रहा है कि खालिद के घर से मिली जानकारी से उसके नेटवर्क और संपर्कों का खुलासा हो सकता है।
बड़े सवाल अब भी बाकी
भले ही पुलिस ने खालिद को मुख्य आरोपी मानते हुए गिरफ्तार कर लिया हो, लेकिन अब भी कई सवाल अनुत्तरित हैं—
-
क्या खालिद अकेले इतना बड़ा खेल कर सकता था?
-
क्या जैमर टीम की लापरवाही महज संयोग थी या इसमें कोई गहरी साजिश छुपी है?
-
क्या हाकम सिंह जैसे पुराने नकल माफिया का इसमें कोई परोक्ष हाथ है?
फिलहाल पुलिस इन सभी पहलुओं पर जांच कर रही है। लेकिन इतना तय है कि इस पेपर लीक कांड ने एक बार फिर उत्तराखंड की भर्ती परीक्षाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।