उत्तराखंड की पहली रामसर साइट आसन झील में लौटे साइबेरियन मेहमान, 16 अक्टूबर से शुरू होगी बोटिंग
देहरादून/विकासनगर। उत्तराखंड की पहली रामसर साइट के रूप में पहचान बना चुकी आसन कंजर्वेशन पार्क (आसन झील) में एक बार फिर साइबेरियन पक्षियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। हर साल की तरह इस बार भी झील के टापुओं पर विदेशी परिंदों की चहचहाहट गूंजने लगी है। झील पर इन दिनों रुडी शेलडक (सुर्खाब) के झुंड गुनगुनी धूप में पानी में अठखेलियां करते नजर आ रहे हैं।
झील प्रबंधन के अनुसार, 16 अक्टूबर से आसन झील को बोटिंग के लिए खोल दिया जाएगा, जिसके बाद पर्यटक और पक्षी प्रेमी इन प्रवासी मेहमानों का करीब से दीदार कर सकेंगे।
आसन कंजर्वेशन पार्क अपनी समृद्ध जैव विविधता और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है, जो साइबेरियन पक्षियों को विशेष रूप से आकर्षित करता है। हर साल हजारों किलोमीटर का सफर तय कर ये पक्षी यहां पहुंचते हैं। बताया जाता है कि अक्टूबर माह से झील में प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है, जो मार्च तक यहां डेरा डालते हैं। इस दौरान करीब 141 प्रजातियों के पांच हजार से अधिक पक्षी आसन झील का हिस्सा बनते हैं।
आसन कंजर्वेशन रिजॉर्ट के प्रबंधक अनिल नौटियाल ने बताया कि झील में बोटिंग सीजन की तैयारियां जोरों पर हैं। बोटों की मरम्मत और रंग-रोगन का कार्य अंतिम चरण में है। वहीं, वन दरोगा और पक्षी अवलोकन विशेषज्ञ प्रदीप सक्सेना ने बताया कि इस वर्ष भी कई दुर्लभ साइबेरियन प्रजातियां झील में पहुंच चुकी हैं।
झील में दिखने वाली प्रमुख प्रवासी प्रजातियों में रुडी शेलडक, ब्लैक स्टॉर्क, गूजेंडर, स्नोई ब्राउड फ्लाई कैचर, पलाश फिश ईगल, वाल क्रीपर, चीनी रूबीथ्रोट, सिल्वर-ईयर्ड मेसिया, रिवर टर्न, स्टेपी ईगल, स्पाॅटेड फ्राकटेल, नार्दन शावलर, गैडवाल, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, टफ्ड डक और लिटिल ग्रेब शामिल हैं।
आसन झील न केवल पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग समान है, बल्कि यह पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण का भी उत्कृष्ट उदाहरण बन चुकी है।