दून मेडिकल कॉलेज में बढ़ रहे विंटर डायरिया के मामले, रोजाना 20-25 बच्चे अस्पताल पहुंच रहे
देहरादून: ठंड बढ़ने के साथ ही दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में सर्दी-जुकाम और विंटर डायरिया के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। बाल रोग ओपीडी में रोजाना 20 से 25 बच्चे रोटावायरस डायरिया (विंटर डायरिया) की समस्या के साथ पहुंच रहे हैं। इसके अलावा 40 से 50 बच्चे खांसी-जुकाम और श्वसन संक्रमण (यूआरआई) से ग्रसित मिल रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि सर्दियों में बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, जिससे वे संक्रमण की चपेट में जल्दी आते हैं। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक ने बताया कि अधिकतर बच्चे वायरल संक्रमण के कारण बीमार पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि रोटावायरस सर्दियों में तेजी से फैलता है और छोटे बच्चों के लिए अधिक खतरनाक साबित हो सकता है।
लक्षण और सावधानियां
डॉ. अशोक के अनुसार विंटर डायरिया के मुख्य लक्षण बुखार, उल्टी, तेज दस्त और पेट दर्द हैं। संक्रमण के 2-3 दिन बाद लक्षण प्रकट होने लगते हैं और दस्त एक सप्ताह तक जारी रह सकते हैं।
उन्होंने कहा कि बच्चों में सबसे बड़ा खतरा डिहाइड्रेशन का होता है। ऐसे में इलेक्ट्रोलाइट्स का सेवन नियमित कराना बेहद जरूरी है।
टीकाकरण है प्रमुख बचाव उपाय
दून अस्पताल में रोटावायरस का टीका निशुल्क उपलब्ध है, जो इस संक्रमण से बचाव का प्रभावी जरिया है। उन्होंने अपील की कि अभिभावक अपने बच्चों को अस्पताल लाकर टीका अवश्य लगवाएं।
बच्चों को ठंड से बचाने की सलाह
• छोटे बच्चों को बाहर ले जाते समय कई परतों में गर्म कपड़े पहनाएं
• टोपी और मोजे अनिवार्य रूप से पहनाएं
• स्कूल जाने वाले बच्चे स्वेटर और टोपी अवश्य पहनें
• साफ-सफाई और हाथों की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि यदि समय पर सावधानियां बरती जाएं तो इस संक्रमण से बच्चों को सुरक्षित रखा जा सकता है। अभिभावकों को लक्षण दिखते ही बच्चों को डॉक्टर के पास लाने की सलाह दी गई है।
