142 नए असिस्टेंट प्रोफेसरों को नियुक्ति पत्र — उत्तराखंड में मेडिकल शिक्षा का बड़ा सुधार
देहरादून — मंगलवार को, पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सेवक सदन, मुख्यमंत्री आवास, देहरादून में आयोजित एक समारोह में विभिन्न राजकीय मेडिकल कॉलेजों के लिए चयनित 142 असिस्टेंट प्रोफेसरों को नियुक्ति पत्र सौंपे। ये नियुक्तियाँ Uttarakhand Medical Service Selection Board (UMSSSB) के माध्यम से हुई हैं।

मुख्यमंत्री ने नवनियुक्त प्रोफेसरों को शुभकामनाएँ दीं और कहा कि यह कदम राज्य की स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे न सिर्फ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व प्रशिक्षण दें, बल्कि अपने छात्रों में सहानुभूति, सेवा व संवेदनशीलता की भावना भी विकसित करें।
कौन-कौन से विभागों में हुए नियुक्तियाँ
चयन के बाद 142 असिस्टेंट प्रोफेसरों में निम्न विभाग शामिल हैं — एनेस्थीसिया, अनाटॉमी, पीडियाट्रिक्स, बायोकेमिस्ट्री, ब्लड बैंक, रेडियोथेरेपी, डर्मेटोलॉजी, कम्युनिटी मेडिसिन, पैथोलॉजी, दंत चिकित्सा (Dentistry), आपातकाल व फॉरेंसिक मेडिसिन, जनरल मेडिसिन, जनरल सर्जरी, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, फार्माकोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स, गायनी (Obstetrics & Gynaecology), नेत्र, ENT, मनोरोग (Psychiatry) व फिजियोलॉजी आदि।
इस कदम से कई सालों से चली आ रही फैकल्टी की कमी पर असर पड़ेगा — कॉलेजों में शिक्षण, प्रशिक्षण और शोध-कार्य में सुधार की उम्मीद।
स्वास्थ्य सेवाओं और व्यापक सुधार — सरकार की दिशा
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार, Ayushman Bharat योजना के माध्यम से सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएं दे रही है — अब तक करीब 61 लाख Ayushman कार्ड वितरित किए गए हैं, और लगभग 17 लाख से अधिक मरीजों को 3300 करोड़ रुपये से अधिक के कैश-लेस उपचार लाभ प्रदान हुए हैं।
इसके अलावा, सरकार हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की योजना पर कार्य कर रही है, ताकि दूरदराज के इलाकों के लोगों को उनके जिले में ही आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएँ मिल सकें। कई कॉलेज पहले से सक्रिय हैं, और कुछ निर्माणाधीन हैं।
सरकार ने नर्सिंग व तकनीकी स्टाफ की भी नियुक्तियाँ की हैं — कई नर्सिंग अधिकारी और तकनीशियन नियुक्त किए गए हैं, और अन्य की भी प्रक्रिया जारी है।
अपेक्षित प्रभाव — छात्रों, मरीजों और स्वास्थ्य व्यवस्था पर
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142 स्थायी असिस्टेंट प्रोफेसरों के साथ, मेडिकल कॉलेजों में शिक्षण व प्रशिक्षण का स्तर बेहतर होगा, जिससे छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिलेगी।
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फैकल्टी की कमी पूरी होने से अस्पतालों में इलाज-चिकित्सा और मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं में सुधार होगा।
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नर्सिंग व तकनीकी स्टाफ के जुड़ने से अस्पतालों में सेवाओं की उपलब्धता व दक्षता बढ़ेगी।
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राज्य में मेडिकल शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार से ग्रामीण व दूरदराज के इलाकों के लोगों को भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएंगी।
आगे की चुनौतियाँ व उम्मीदें
हालाँकि 142 नियुक्तियाँ और स्टाफ की तैनाती महत्वपूर्ण कदम हैं, पर अभी कई रिक्त पदों की प्रक्रिया जारी है — सरकार कह चुकी है कि जहाँ भी पद खाली हैं, उन्हें आयोग के माध्यम से जल्दी भरा जाएगा।
यह देखना होगा कि नवनियुक्त फैकल्टी और स्टाफ जल्द तैनात होते हैं या नहीं, और क्या इससे शिक्षा व चिकित्सा सेवाओं में वास्तविक बदलाव आता है।
