बीजेपी में बगावत या ऑल इस वैल!

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उत्तराखंड की राजनीति में अगले कुछ दिनों में अलग-अलग रंग देखने को मिलेंगे,जहाँ सूबे में ग्यारवें मुख्यमंत्री के चुनाव के बाद लगने लगा था की अब प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान का पटाछेप हो गया होगा मगर विभिन्न स्रोतों से आ रही ख़बरों के अनुसार ऐसा लग रहा है की भाजपा ने बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया है।
उत्तराखंड में पुराने अनुभवों को दरकिनार करते हुए कम उम्र के व्यक्तित्व को नया मुख्यमंत्री बनाने के हाईकमान का फैसला अब भाजपा के पुराने दिग्गजों को रास नहीं आ रहा है और पार्टी के कई विधायक नाराज बताये जा रहे हैं।
यूँ तो त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाने और तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाने के  बाद से ही प्रदेश का सियासी माहौल गड़बड़ाने लगा था ऐसे में पुनः चार माह में ही नए मुख्यमंत्री की घोषणा ने माहौल और गर्मा दिया है। 70 सीट वाले उत्तराखंड में 57 विधायक भाजपा के हैं। साढ़े चार साल में भाजपा ने तीसरा सीएम दिया है। धामी के नाम की बतौर सीएम घोषणा के बाद से ही सीएम का सपना संजोए भाजपा के कई विधायकों को मानो सांप सूंघ गया है और बताया जा रहा है की कई  विधायक एकाएक नराज हो गए हैं। जिन विधायकों का नाम संभावित सीएम के लिए उछल रहा था, उनमे से बाकायदा  तीरथ सरकार में  मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने मदन कौशिक को फोन कर मना कर दिया कि वह कैबिनेट में शामिल नहीं होंगे। भाजपा में बिशन सिंह चुफाल और पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी के बीच छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है। नए सीएम को कोश्यारी के करीबियों में शुमार किया जाता है।
इसके अतिरिक्त कई और दिग्गज भी भाजपा के इस फैसले से नाराज बताये जा रहे हैं जिनमे पूर्व कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत का नाम भी प्रमुखता से लिए जा रहा है, और वे भी मंत्रिमंडल में शामिल होने से किनारा कर सकते हैं। इन दोनों नेताओं के नाम भी सीएम के दावेदारी में बड़े जोर शोर से लिए जा रहे थे। वहीं, भाजपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत, यशपाल आर्य भी इस फैसले से खासे नाराज बताए जा रहे हैं।
अनुभव और अनुभवहीनता के बीच शुरू हुयी यह लड़ाई अब राजनितिक गलियारे में क्या क्या रंग दिखाती है यह तो आने वाले कुछ दिनों में ही पता चलेगा मगर इतना साफ़ है की  नए सीएम पुष्कर सिंह धामी की राह आसान होने नहीं जा रही है।
वहीँ कयास लगाए जा रहे हैं कि दो डिप्टी सीएम बनाकर कुछ विरोध को दबाने का प्रयास हो सकता है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कई नेता और विधायक शपथ ग्रहण समारोह से किनारा करने का मन बना रहे हैं वहीँ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वरिष्ठ नेताओं से मुलाकातों का सिलसिला शुरू कर उन्हें साधना शुरू कर दिया है जिससे की भविष्य में होने वाले डेमेज कण्ट्रोल से बचा जा सके।

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13 thoughts on “बीजेपी में बगावत या ऑल इस वैल!

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