क्या उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने राजनीति से संन्यास लेने का मन बना लिया है? हाल ही में सोशल मीडिया में उनके द्वारा किये गए एक ट्ववीट के मायने राजनीतिक पंडित तो यही निकाल रहे हैं। हालांकि हरीश रावत ने अपनी पोस्ट पर खुलकर तो संन्यास जैसी किसी बात का जिक्र नहीं किया मगर इशारों ही इशारों में कही गयी उनकी बातें राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गयी है।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने सोशल मीडिया में एक पोस्ट की है। जिसके बाद अनुमान लगाया जाने लगा है कि वह शीघ्र ही राजनीतिक जीवन से संन्यास ले सकते हैं। जहाँ उन्होंने अपनी पोस्ट पर कांग्रेस संगठन पर सवाल खड़े किये वहीँ उन्होंने अपनी विफलता पर भी बात की। हरीश रावत ने आगे कहा कि उत्तराखंड कांग्रेस अभी नहीं लगता अपने को बदलेगी। उन्होंने कहा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की समाप्ति के एक माह बाद स्थानीय और राष्ट्रीय परिस्थितियों का विहंगम विवेचन कर मैं कर्म क्षेत्र व कार्यप्रणाली का निर्धारण करूंगा। थोड़ा विश्राम अच्छा है।
एक जगह वह कहते नज़र आते हैं “उत्तराखंड कांग्रेस अभी नहीं लगता अपने को बदलेगी! व्यक्ति को अपने को बदलना चाहिए। मैं इस निष्कर्ष पूर्ण सोच को आगे बढ़ाने के लिए आशीर्वाद मांगने भगवान बद्रीनाथ के पास गया था। भगवान के दरबार में मेरे मन ने मुझसे स्पष्ट कहा है कि हरीश आप उत्तराखंड के प्रति अपना कर्तव्य पूरा कर चुके हो। उत्तराखंडियत के एजेंडे को अपनाने व न अपनाने के प्रश्न को उत्तराखंड वासियों व कांग्रेस पार्टी पर छोड़ो!”
वहीँ आखिर में वह लिखते हैं- “मैं अपने घर गांव व कांग्रेसजनों को हमेशा उपलब्ध रहूंगा। पार्टी की सेवा हेतु मैं दिल्ली में एक छोटे से उत्तराखंडी बाहुल्य क्षेत्र में भी अपनी सेवाएं दूंगा। पार्टी जब पुकारेगी मैं, उत्तराखंड में भी सेवाएं देने के लिए उत्सुक बना रहूंगा।”
हरीश रावत राजनितिक तौर पर एक मंझे हुए नेता हैं ऐसे में उनके द्वारा की गयी इस पोस्ट के कई मायने निकाले जा सकते हैं वहीं उनकी इस पोस्ट से ऐसा भी प्रतीत होता है की वह आज राजनैतिक जीवन के दोराहे पर खड़े हैं। जिसमे वह #अस्त्र-या-कवच जैसे हैश टैग के साथ पोस्ट लिखते हैं
देखिये उनके द्वारा की गयी वो पोस्ट जिसने अनेक चर्चाओं को जन्म दिया—-