2015-16 में हुए दरोगा भर्ती घोटाले की जांच के चलते सरकार ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए भर्ती घोटाले मामले से जुड़े 20 संदिग्ध सब इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर दिया गया है। प्राथमिक जांच में यह सामने आया है कि 20 दारोगा रुपये देकर भर्ती हुए थे। पुलिस मुख्यालय की ओर से सभी जिला प्रभारियों को आदेश जारी कर 2015-16 में हुए 20 दरोगाओं को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
बता दें कि आठ वर्ष पूर्व वर्ष 2015-16 में हुई यह भर्ती तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में हुई थी। उस दौरान भी भर्ती में घपले के आरोप लगे थे, लेकिन सरकार की ओर से जांच न कराने के कारण मामला दब गया था। यूकेएसएसएसी मामले में जांच के दौरान 2015 में दरोगा सीधी भर्ती धांधली सामने आई थी। भर्ती में घपले के आरोपों के बाद इस मामले 8 अक्टूबर 2022 को विजिलेंस हल्द्वानी सेक्टर में इस संबंध में मुकदमा दर्ज हुआ था, जैसे-जैसे विजिलेंस की जांच आगे बढ़ी आरोपियों की मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं। गौर हो कि विजिलेंस की कुमाऊं यूनिट पूर्व में इस मामले पर 12 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर चुकी है। इसी कड़ी में 20 संदिग्ध दरोगाओं को आज सस्पेंड कर दिया गया है।
अभी तक की जांच में 40 से अधिक दरोगाओं पर परीक्षा में धांधली कर नियुक्ति पाने का आरोप है। दारोगा के 339 पदों पर सीधी भर्ती की परीक्षा की जिम्मेदारी गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय पंतनगर को दी गई थी। 20 दरोगाओं के सस्पेंड की कार्रवाई मामले पर एडीजी डॉ वी. मुरुगेसन ने मीडिया को बताया की विजिलेंस की इन्वेस्टीगेशन आगे बढ़ रही है, यह कारवाई पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के आदेश के तहत की गयी है। निर्देश है की जब तक इस मामले की पूरी तरह जांच नहीं हो जाती संदिग्ध 20 दरोगा निलंबित रहेंगे।