धराली त्रासदी के बाद: मलबे में उम्मीद तलाशते राहत अभियान
उत्तरकाशी, उत्तराखंड – उत्तराखंड के धराली गांव में आई भीषण आपदा के बाद अब राहत और बचाव कार्यों की गूंज हर ओर सुनाई दे रही है। खीरगंगा नदी में आई अचानक बाढ़ और मलबे ने जहां जनजीवन को तहस-नहस कर दिया, वहीं अब राहत कार्यों की तेज रफ्तार थोड़ी राहत दे रही है। प्रशासन से लेकर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय स्वयंसेवक तक – सभी ने इस जख्मी धरती को सहारा देने के लिए कमर कस ली है।

आपदा की भयावहता: जब पानी ही दुश्मन बन गया
पिछले सप्ताह जब खीरगंगा नदी उफान पर आई, तब धराली में हर ओर अफरा-तफरी मच गई। हिंदुस्तान, दैनिक जागरण और अमर उजाला जैसी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि की जा चुकी है और कई लापता हैं। एएनआई और न्यूज़18 ने स्थानीय प्रशासन के हवाले से बताया कि 50 से अधिक मकानों व होटलों को नुकसान पहुंचा है।

बचाव कार्यों का संचालन: युद्धस्तर पर राहत अभियान
आपदा के तुरंत बाद ही प्रशासन ने NDRF और SDRF की टीमें तैनात कर दी थीं। हेलीकॉप्टर की मदद से फंसे पर्यटकों और ग्रामीणों को निकाला गया। आज तक और इंडिया टीवी ने पुष्टि की है कि अब तक 100 से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है, जिनमें महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे भी शामिल हैं।
स्थानीय प्रशासन द्वारा:
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तत्काल राहत शिविर बनाए गए हैं।
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खाद्य सामग्री, पानी और दवाइयों की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है।
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प्रभावितों के लिए सामयिक मुआवजा और पुनर्वास योजनाओं की घोषणा की गई है।

चोटें, इलाज और ज़रूरतें: ज़मीनी सच्चाई
रिपोर्टों के अनुसार, कई लोग अब भी आंशिक रूप से घायल हैं और उत्तरकाशी जिला अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। प्रभात खबर के अनुसार, सरकार ने मेडिकल टीमों को तत्काल सेवा के लिए अलर्ट किया है।
स्थानीय लोगों की हिम्मत: जब गांव बना मददगार
धराली के युवाओं और ग्रामीणों ने प्रशासन का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया। कई जगहों पर स्थानीय स्वयंसेवकों ने लापता लोगों की खोजबीन में मदद की, तो कुछ ने अपने घरों को राहत शिविर में बदल दिया।
अमर उजाला के अनुसार, एक स्थानीय युवक मनोज राणा ने खुद की जान जोखिम में डालकर 3 बच्चों को बचाया, जिनका घर पूरी तरह ध्वस्त हो चुका था।
अब आगे क्या?
राज्य सरकार ने घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं और भू-वैज्ञानिकों की एक टीम धराली क्षेत्र में भेजी गई है। आपदा की मूल वजहों (भू-स्खलन, जल-विकृति, अनियोजित निर्माण) की गहराई से जांच की जा रही है।
नोट:—
यह रिपोर्ट उपरोक्त समाचार संस्थानों की विश्वसनीय रिपोर्टिंग के आधार पर तैयार की गई है।