अंकिता भंडारी हत्याकांड: न्याय की प्रतीक्षा पूरी, दोषियों को उम्रकैद

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कोटद्वार, 30 मई 2025 | रिपोर्ट – The Mountain Stories

“जिसने बेटी छीनी, उसे ज़िंदा क्यों छोड़ा गया?” – अंकिता की माँ की गूंजती हुई वेदना आज पूरे देश के कानों में गूंज रही है।

उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में आखिरकार 2 साल 8 महीने बाद कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (ADJ कोर्ट) ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। मुख्य आरोपी पुलकित आर्या, और उसके सहयोगी अंकित गुप्ता व सौरभ भास्कर को अदालत ने हत्या, साक्ष्य मिटाने, छेड़छाड़ और अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम के अंतर्गत दोषी करार देते हुए कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

अदालत का फैसला – न्याय या अधूरा सुकून?

तीनों दोषियों को:

  • IPC की धारा 302 (हत्या) के तहत आजन्म कठोर कारावास और ₹50,000 जुर्माना,

  • धारा 201 (साक्ष्य मिटाना) में 5 वर्ष कठोर कारावास और ₹10,000 जुर्माना,

  • धारा 354A (छेड़छाड़) में 2 वर्ष कठोर कारावास और ₹10,000 जुर्माना (केवल पुलकित को),

  • ITPA की धारा 3(1)d (अनैतिक व्यापार) में 5 वर्ष की सजा और ₹2000 जुर्माना सुनाया गया।

साथ ही अदालत ने पीड़िता के परिजनों को ₹4 लाख का प्रतिकर देने का आदेश भी दिया।

“हमें फांसी चाहिए थी”

जब कोर्ट परिसर के बाहर यह फैसला सुनाया गया, तो जहाँ कुछ आंखों में राहत के आँसू थे, वहीं अंकिता के माता-पिता की आंखों में दर्द था। उन्होंने कहा:

“जिसने हमारी बेटी को मौत दी, उसे भी मौत की सजा मिलनी चाहिए थी। हमें उम्रकैद मंज़ूर नहीं। हम हाईकोर्ट में अपील करेंगे। हमारी बेटी मर गई, हमारा घर उजड़ गया – हमारी जिंदगी की कीमत सिर्फ उम्रकैद नहीं हो सकती।”

हत्या की कहानी जिसने हिला दिया था देश

18 सितंबर 2022 – पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर क्षेत्र में स्थित वनंत्रा रिज़ॉर्ट की 19 वर्षीय रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की उसके ही मालिक और दो कर्मचारियों ने मिलकर निर्ममता से हत्या कर दी।

उस पर अनैतिक कार्यों में शामिल होने का दबाव डाला जा रहा था। जब उसने विरोध किया, तो उसे चीला शक्ति नहर में धक्का दे दिया गया।

24 सितंबर को उसका शव घटनास्थल से 13 किलोमीटर दूर चीला बैराज के इंटेक से बरामद हुआ। पूरे राज्य में आक्रोश की लहर दौड़ गई। सरकार ने तत्काल एसआईटी गठित की और मामले की विवेचना डीआईजी पी. रेणुका देवी के नेतृत्व में की गई।

न्यायालय परिसर बना छावनी

कोटद्वार कोर्ट परिसर आज एक युद्धक्षेत्र सरीखा नज़र आ रहा था। पुलिस ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए। धारा 144 लागू की गई, चार मजिस्ट्रेट तैनात रहे, और पीएसी की डेढ़ कंपनी कोर्ट परिसर में तैनात रही। फिर भी, न्याय की आस में जुटी भीड़ ने बैरिकेडिंग तोड़कर कोर्ट की ओर बढ़ने की कोशिश की।

सामाजिक संदेश: बेटियाँ बिकाऊ नहीं

यह मामला केवल एक हत्या नहीं, बल्कि उस बीमार मानसिकता की पोल खोलता है जो आज भी बेटियों को “सुविधा” मानती है।

पुलकित आर्या, एक रसूखदार व्यक्ति, जिसने सत्ता और पैसे की ताकत के दम पर एक निर्दोष युवती को बर्बर तरीके से मार डाला, वही अब जेल की सलाखों के पीछे है – पर क्या केवल जेल ही काफी है?

यह सवाल अब भी देश के हर नागरिक के दिल में तैर रहा है।

न्याय की यह यात्रा

  • 20 सितंबर 2022: पुलकित आर्या ने अंकिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट दी।

  • 22 सितंबर: मामला लक्ष्मणझूला थाने को सौंपा गया।

  • 23 सितंबर: तीनों आरोपी गिरफ्तार।

  • 24 सितंबर: शव बरामद, पोस्टमार्टम।

  • 16 दिसंबर 2022: चार्जशीट दाखिल।

  • 30 जनवरी 2023: पहली सुनवाई।

  • 28 मार्च 2023: गवाही शुरू।

  • 30 मई 2025: फैसला सुनाया गया।

क्या यह अंत है?

न्यायपालिका ने कानून के दायरे में रहकर दोषियों को कठोरतम सजा दी, पर जनता और पीड़िता के माता-पिता की अपेक्षा ‘फांसी’ थी। ऐसे मामलों में समाज की आंखों में सिर्फ कानून नहीं, नैतिक जवाबदेही भी झांकती है।

इस फैसले ने भले कानूनी न्याय दिया हो, मगर भावनात्मक न्याय की लड़ाई अब भी जारी है।

“अंकिता अब नहीं रही, लेकिन वो आवाज़ बन गई है – हर उस बेटी की, जो डर के साए में जीती है।”

आज पूरा उत्तराखंड, और देश अंकिता की आत्मा के लिए प्रार्थना कर रहा है। साथ ही यह संकल्प भी दोहरा रहा है – “अब कोई और अंकिता न हो।”


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