उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 4 अक्टूबर सुबह द्रौपदी का डांडा 2 में आए एवलॉन्च के बाद रेस्क्यू और सर्च ऑपरेशन लगातार जारी है, इस हादसे में 29 लोगों की मौत हो चुकी है।बुधवार से यहां पर खोज शुरू हुई और अब तक 26 शवों को निकाल लिया गया है, तीन अभी भी लापता हैं।जो लोग गहरे क्रेवास में फंसे हैं, उन्हें निकालने में समय लग रहा है। इसके साथ ही मौसम भी दुश्वारियां खड़ी कर रहा है।
एसडीआरएफ कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने बताया कि पर्वतारोहण के लिए एक विशेष ट्रैक का ही इस्तेमाल किया जाता है। इस पर्वत पर चढ़ने के लिए चुनिंदा ट्रैक हैं। सेना के चीता हेलीकॉप्टर ने इन ट्रैक के ऊपर से उड़ान भरी और एक दिन तक रेकी की। इस दौरान मंगलवार को एक ट्रैक पर पर्वतारोहियों की रस्सी नजर आ गई। कुछ रंगीन वस्तुओं जैसा भी दिखाई दे रहा था। इस स्थान को देखकर ही यहां पर खोजी दल को भेजा गया। बुधवार से यहां पर खोज शुरू हुई और अब तक 26 शवों को निकाल लिया गया है। मिश्रा ने बताया कि यह दल क्रेवास में फंसे लोगों (शवों) को मन्युअली बाहर निकाल रहे हैं। जो लोग अभी नहीं मिले हैं उनके बारे में आशंका जताई जा रही है कि वह इसके आसपास ही किसी गहरे क्रेवास में फंसे हुए हैं। गहरे क्रेवास में फंसे लोगों को निकालने में ज्यादा समय लगता है।
बता दें कि निम का 42 सदस्यीय दल 23 सितबंर को द्रौपदी का डांडा में प्रशिक्षण के लिए गया था। मंगलवार को दल के 34 सदस्य एवलांच की चपेट में आ गए थे। वायुसेना, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ के अलावा जम्मू कश्मीर हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल गुलमर्ग की टीम भी रेस्क्यू कार्य में जुटी है।