चमोली–पौड़ी में भालुओं का बढ़ता आतंक: 12 लोगों पर हमले, दो की मौत; जंगल में घास लेने गई महिला खाई में गंभीर अवस्था में मिली
चमोली/पौड़ी, 21 नवंबर। उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में इस वर्ष भालुओं की आक्रामकता अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गई है। चमोली और पौड़ी जिलों में भालू आबादी वाले क्षेत्रों तक पहुंच रहे हैं, जिससे आमजन में डर और बेचैनी का माहौल है। आंकड़ों के अनुसार, चमोली जिले में इस साल वन्यजीवों के हमलों में 25 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 12 हमले अकेले भालू के थे, जबकि दो लोगों की मौत भी हुई है। वहीं पौड़ी जिले में जनवरी 2025 से अब तक 12 लोग घायल और 53 मवेशी भालू का शिकार बन चुके हैं।

वन विभाग के अनुसार, इस साल भालुओं का व्यवहार सामान्य से अलग है। शीतकाल में शीतनिद्रा में चले जाने के बजाय भालू लगातार बस्तियों के आसपास देखे जा रहे हैं, जिससे टकराव की घटनाएं बढ़ रही हैं।
घास लेने गई महिला खाई में गंभीर हालत में मिली
चमोली जिले के पोखरी ब्लॉक के पाव गांव की रामेश्वरी देवी (45) बुधवार को जंगल में घास लेने गई थीं, लेकिन देर शाम तक वापस नहीं लौटीं। रातभर चले सर्च अभियान में अंधेरा होने से कोई सफलता नहीं मिली।
गुरुवार सुबह ग्रामीणों व वन विभाग ने फिर तलाश शुरू की। जंगल के चौड़ा गदेरा क्षेत्र में वह एक गहरी खाई में पेड़ की आड़ में गंभीर हालत में मिलीं।
भालू ने उनके चेहरे और सिर को बुरी तरह नोंच दिया था। ग्रामीणों व रेस्क्यू टीम ने रस्सियों की मदद से उन्हें बाहर निकाला और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पोखरी पहुंचाया, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें एयर एंबुलेंस से एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया।
वन क्षेत्राधिकारी नवल किशोर ने बताया कि महिला को 1 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने ग्रामीणों को चेताया कि जंगल में अकेले न जाएं और शोर करते हुए समूह में जाएं।
चमोली में बढ़े हमले: पिछले वर्षों से कहीं ज्यादा सक्रिय भालू
-
2022–23: 7 लोग घायल
-
2023–24: 11 लोग घायल, 1 मौत
-
2024–25 (अब तक): 12 हमले, 2 मौतें
पूर्व डीएफओ इंद्र सिंह नेगी का कहना है कि जंगलों के घटने और भोजन की कमी के कारण भालू गांवों की ओर आ रहे हैं। सितंबर से जनवरी तक उनका सक्रिय समय होता है, ऐसे में भोजन की तलाश में वे मानव बस्तियों तक पहुंच रहे हैं।
ज्योतिर्मठ, दशोली, पोखरी, नंदानगर, देवाल, थराली और कर्णप्रयाग भालू-प्रभावित क्षेत्रों में शामिल हैं। जिले में भालू 30 से अधिक मवेशियों को भी मार चुका है।

पौड़ी में भी गंभीर स्थिति: दो महीनों में तेजी से बढ़ी गतिविधि
गढ़वाल वन वृत्त के वन संरक्षक आकाश वर्मा बताते हैं कि इस वर्ष भालुओं की सक्रियता असामान्य रूप से अधिक है।
पैठाणी रेंज, थलीसैंण और कल्जीखाल क्षेत्रों में भालू बार-बार नजर आ रहे हैं। कई मवेशियों पर हमले हुए हैं।
वन विभाग ने विशेष टीम तैनात की है, ट्रैंकुलाइजिंग उपकरण मौजूद हैं, फिर भी भालुओं की आवाजाही में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।
जिवई गांव में महिला पर हमला
17 नवंबर को पौड़ी के बीरोंखाल ब्लॉक के जिवई गांव में घास काटने गई लक्ष्मी देवी (40) पर झाड़ियों में छिपे भालू ने अचानक हमला कर दिया।
उनकी दाईं आंख और सिर पर गहरी चोटें आईं। ग्रामीणों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया, जहां से उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया गया।
जनप्रतिनिधियों की चिंता, विभाग को चेतावनी
पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी ने केदारनाथ वन प्रभाग के डीएफओ से मुलाकात कर कड़े शब्दों में कहा—
“आप भालू को मारो या पकड़ो, लेकिन लोगों की जान बचनी चाहिए। महिला रातभर जंगल में पड़ी रही, ये लापरवाही है। मुआवजा तब किस काम का जब इंसान ही न बचे?”
उन्होंने चेतावनी दी कि भालू आतंक पर रोक न लगी तो वे धरना देंगे।
वन विभाग ने बढ़ाई गश्त, जारी किए सुरक्षा निर्देश
वन विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों में तकनीकी टीमें तैनात कर दी हैं। रात और सुबह के समय गश्त बढ़ाई गई है।
ग्रामीणों को भालू से बचाव के लिए विशेष निर्देश दिए गए हैं—
-
अकेले जंगल न जाएं
-
समूह में जाएं और शोर मचाते रहें
-
रास्तों व खेतों के आसपास झाड़ियाँ साफ रखें
-
संदिग्ध गतिविधि दिखे तो तुरंत वन विभाग को सूचना दें
-
हाथ में लाठी या मजबूत डंडा जरूर रखें
चिंता का विषय: शीतनिद्रा भूलते जा रहे भालू
शीतकाल में भालू आमतौर पर हाइबरनेशन में चले जाते हैं, लेकिन इस बार वे जंगलों में जाने के बजाय आबादी क्षेत्रों में सक्रिय हैं। वन अधिकारियों का कहना है कि भोजन की कमी और जलवायु में बदलाव इसकी बड़ी वजह हो सकती है।

स्थानीय लोग दहशत में, उम्मीद जंगलों की ओर लौटने की
पौड़ी और चमोली के ग्रामीण क्षेत्रों में भय का माहौल है। कई लोग घास, पत्ती व जलावन के लिए जंगल जाने से डर रहे हैं।
वन विभाग को उम्मीद है कि ठंड बढ़ने पर भालू जंगलों की ओर लौट जाएंगे, लेकिन तब तक लोगों को अत्यधिक सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
