भारत इतिहास रचने के और करीब पहुँच गया है, भारत के तीसरे मून मिशन चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर (LM) चंद्रमा के और करीब पहुंच गया है। यानी अब चांद पर भारत के चंद्रयान-3 की लैंडिंग बस कुछ ही दिनों की बात है। अगर सब कुछ योजनानुसार चलता रहा तो 23 अगस्त को लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। उधर भारत के चंद्रयान-3 मिशन के बाद लॉन्च हुआ रूस का लूना-25 स्पेसक्राफ्ट बहुत तेजी से चांद के करीब पहुंच गया है।
भारत के तीसरे मून मिशन चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर यानी LM चंद्रमा के और करीब पहुंच गया है। भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने शुक्रवार को ‘डिबूस्टिंग’ की प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी कर ली। इसरो ने बताया है कि लैंडर मॉड्यूल अच्छी स्थिति में है और सामान्य रूप से काम कर रहा है। विक्रम लैंडर के साथ ही प्रज्ञान रोवर भी चांद के नजदीक पहुंच गया है। इसरो ने कहा है कि लैंडर मॉड्यूल को अब 20 अगस्त को डिबूस्ट किया जाएगा।
Chandrayaan-3 Mission:
The Lander Module (LM) health is normal.LM successfully underwent a deboosting operation that reduced its orbit to 113 km x 157 km.
The second deboosting operation is scheduled for August 20, 2023, around 0200 Hrs. IST #Chandrayaan_3#Ch3 pic.twitter.com/0PVxV8Gw5z
— ISRO (@isro) August 18, 2023
इसरो ने शुक्रवार को चंद्रयान से ली गई चांद की दो वीडियो भी जारी की है। इसरो ने ट्वीट किया कि चंद्रयान-3 के लैंडर इमेजर (एलआई) कैमरा-1 से 17 अगस्त 2023 को लैंडर मॉड्यूल के प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के ठीक बाद चांद की तस्वीरें ली गईं। इसरो ने अपने लेटेस्ट ट्वीट में बताया है कि लैंडर मॉड्यूल की स्थिति सामान्य है। डिबूस्टिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद विक्रम लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 113 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 157 किलोमीटर रह गई है। अब 20 अगस्त को दूसरी बार विक्रम लैंडर को डिबूस्ट किया जाएगा। अनुमान है कि तब लैंडर विक्रम चांद से महज 100 किलोमीटर दूर रह जाएगा।
Chandrayaan-3 Mission:
View from the Lander Imager (LI) Camera-1
on August 17, 2023
just after the separation of the Lander Module from the Propulsion Module #Chandrayaan_3 #Ch3 pic.twitter.com/abPIyEn1Ad— ISRO (@isro) August 18, 2023
बता दें कि चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को लॉन्चिंग के बाद पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। लैंडर 17 अगस्त को प्रोपल्शन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग हो गया था। लैंडर मॉड्यूल में लैंडर और रोवर हैं। विक्रम लैंडर को इस मिशन में करीब 100 किमी की दूरी खुद तय करनी है। लैंडर अब अपनी ऊंचाई कम और गति धीमी करते हुए आगे बढ़ेगा। इसरो के मुताबिक 20 अगस्त को ‘डिबूस्टिंग’ की प्रक्रिया रात करीब 2 बजे होगी। अगर 23 अगस्त को लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करता है तो ये भारत की बड़ी कामयाबी होगी। इससे पहले चंद्रयान-2 इसी चरण में विफल हो गया था। जब विक्रम नामक लैंडर चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के बजाय क्रैश लैंड कर गया था।
उधर भारत के पीछे-पीछे रूस का लूना-25 स्पेसक्राफ्ट भी बहुत तेजी से चांद के करीब पहुंच गया है। इस स्पेसक्राफ्ट ने चंद्रमा की अपनी पहली तस्वीर भी खींच ली है। इमेज में चांद के साउथ पोलर क्रेटर ‘जीमन’ (Zeeman) को दिखाया गया है। यह चांद का वो इलाका है, जो पृथ्वी से दिखाई नहीं देता। रूसी स्पेस एजेंसी रोस्कॉसमॉस ने गुरुवार को एक टेलिग्राम पोस्ट में यह जानकारी शेयर की। लूना-25 मिशन को इसी 10 अगस्त को लॉन्च किया गया। साल 1976 के बाद रूस ने पहली बार चांद पर अपना मिशन रवाना किया है।
बीते रविवार को लूना-25 ने स्पेस में अपनी पहली तस्वीरें लीं। इसके बैकग्राउंड में चंद्रमा और पृथ्वी दिखाई दे रहे थे। उसके बाद लूना-25 मिशन को एक और कामयाबी मिली, जब उसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर लिया। फिलहाल यह चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगा रहा है, माना जा रहा है कि 21 अगस्त को लूना-25 स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा पर लैंडिंग की कोशिश कर सकता है। खास यह है कि भारत का चंद्रयान-3 चांद पर 23 अगस्त को शाम 5:47पर लैंड करने की कोशिश करेगा, जबकि वह रूसी मिशन से पहले उड़ान भर चुका था।