सूर्योपासना के महापर्व छठ का श्रद्धा और उत्साह के साथ समापन, उत्तराखंड के घाटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब

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सूर्योपासना के महापर्व छठ का श्रद्धा और उत्साह के साथ समापन, उत्तराखंड के घाटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब

देहरादून/ऋषिकेश/हरिद्वार/कर्णप्रयाग। आस्था, अनुशासन और प्रकृति पूजा के महापर्व छठ का सोमवार तड़के उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ विधिवत समापन हो गया। उत्तराखंड में भी पर्व का उल्लास पर्वतीय और मैदानी दोनों इलाकों में देखने को मिला। देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, कर्णप्रयाग सहित विभिन्न स्थानों के घाटों पर तड़के से ही श्रद्धालु जुटे और व्रती महिलाओं ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ अर्घ्य अर्पित किया।

छठ व्रतियों ने 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास पूरा करते हुए सूर्य देव से परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना की। घाटों पर छठी मइया के पारंपरिक गीत गूंजते रहे और पूरे वातावरण में लोक परंपरा की पवित्र छटा बिखरी रही।

देहरादून और ऋषिकेश में विशेष व्यवस्था
देहरादून के विभिन्न घाटों पर पूजा के लिए विशेष प्रबंध किए गए थे। प्रेमनगर स्थित टोंस नदी घाट पर मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन ने भी सपरिवार सूर्य उपासना में भाग लिया। उन्होंने अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्य दोनों को अर्घ्य अर्पित कर प्रदेश की खुशहाली की कामना की। इसी तरह ऋषिकेश स्थित त्रिवेणी घाट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए और उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया।

कर्णप्रयाग में भी दिखा पर्व का पारंपरिक रंग
चमोली जिले के कर्णप्रयाग नगर क्षेत्र के संगम तटों पर भी छठ पूजा का उल्लास देखने को मिला। व्रती महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में पूजा सामग्री के साथ घाटों पर पहुंचकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया। कई स्थानों पर प्रवासी समुदाय और स्थानीय लोगों की ओर से सामूहिक पूजा का आयोजन किया गया।

पहाड़ों से मैदान तक बिखरी आस्था
हरिद्वार और देहरादून जैसे मैदानी क्षेत्रों के साथ-साथ उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में भी इस वर्ष छठ का व्यापक आयोजन हुआ। सामूहिक पूजा, लोक गीतों की गूंज और पारंपरिक अनुष्ठानों ने पर्व का वातावरण अत्यंत भावपूर्ण बना दिया।

पर्व की सफलतापूर्वक सम्पन्नता के लिए प्रशासन की ओर से सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। घाटों पर सफाई, रोशनी और सुरक्षा व्यवस्था के विशेष प्रबंध किए गए। श्रद्धालुओं ने पर्व में शामिल होकर लोक संस्कृति के इस महत्वपूर्ण त्योहार को उत्कट भावनाओं के साथ मनाया।


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