रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि को मुख्यमंत्री धामी की श्रद्धांजलि, बोले — उनकी शिक्षाएं सदैव प्रेरणादायक रहेंगी

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देहरादून। मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने वाल्मीकि जयंती के पावन अवसर पर महर्षि वाल्मीकि के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके प्रति गहरी श्रद्धा व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने कहा कि रामायण के रचयिता, आदिकवि महर्षि वाल्मीकि भारतीय संस्कृति और आदर्श जीवन के प्रतीक हैं, जिनकी रचनाओं ने समाज को सत्य, प्रेम और कर्तव्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी है।

महर्षि वाल्मीकि — सत्य, समरसता और सद्भाव के प्रतीक

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि की शिक्षाएं समाज में समरसता, सद्भाव और मानवता के मूल्य स्थापित करने वाली हैं। उनकी रचनाओं ने पीढ़ियों को एक नई दिशा दी है और आज भी उनका जीवनचरित्र समाज को समानता और न्याय के भाव से प्रेरित करता है।

उन्होंने कहा, “महर्षि वाल्मीकि का जीवन संदेश हमें यह सिखाता है कि मनुष्य अपने कर्म और आचरण से ही महान बनता है। उनके द्वारा रचित रामायण न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन देने वाली अमूल्य धरोहर है।”

राज्य में मनाई गई वाल्मीकि जयंती, विभिन्न कार्यक्रम आयोजित

राज्यभर में वाल्मीकि जयंती बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। मंदिरों, सामाजिक संस्थाओं और स्कूलों में भक्ति संगीत, विचार गोष्ठियां और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार समाज के हर वर्ग के साथ समानता और सम्मान का भाव रखती है और महर्षि वाल्मीकि के दिखाए रास्ते पर चलते हुए राज्य को सशक्त, संवेदनशील और समरस बनाने के लिए संकल्पित है।

महर्षि वाल्मीकि की शिक्षाओं को अपनाने का आह्वान

मुख्यमंत्री ने युवाओं से आह्वान किया कि वे महर्षि वाल्मीकि के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएं। उन्होंने कहा कि रामायण जैसे ग्रंथों में निहित नैतिकता, त्याग और कर्तव्यनिष्ठा के संदेश आज भी समाज सुधार की दिशा में पथप्रदर्शक हैं।

महर्षि वाल्मीकि — भारतीय संस्कृति के अमर कवि

महर्षि वाल्मीकि को ‘आदिकवि’ कहा जाता है क्योंकि उन्होंने ही संस्कृत साहित्य की पहली महाकाव्य रचना ‘रामायण’ की थी। वे न केवल साहित्य के प्रवर्तक थे, बल्कि सामाजिक चेतना और धर्म के पुनर्संस्थापक के रूप में भी याद किए जाते हैं।


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