उत्तराखंड में भू-कानूनों का उल्लंघन कर जमीन खरीदने वालों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऐसे मामलों की जांच के आदेश दिए हैं, जिसमें नगर निकाय क्षेत्रों से बाहर 250 वर्गमीटर से अधिक भूमि की खरीद एक ही परिवार के एक या अधिक सदस्यों द्वारा की गई है। ऐसे मामलों में सरकार अब सख्त रुख अपनाते हुए उन जमीनों को अपने कब्जे में लेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्तमान भू-कानून के उल्लंघन पर सख्त नजर रखते हुए 27 सितंबर को निर्देश दिए थे कि नगर निकाय क्षेत्रों से बाहर 250 वर्गमीटर से अधिक भूमि की खरीद का प्रविधान उल्लंघन करने वाले मामलों की जांच की जाए। खासकर चार जिलों — देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और उधमसिंहनगर — में इन उल्लंघनों की संख्या ज्यादा पाई गई है। इसी के आधार पर शासन ने 9 अक्टूबर को जांच के आदेश जारी कर दिए हैं।
मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को इस प्रकार की भूमि की खरीद के मामलों की जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। जिन जमीनों की खरीद बिना अनुमति के की गई है या जहां एक ही परिवार के कई सदस्यों ने अलग-अलग नाम से 250 वर्गमीटर से अधिक भूमि खरीदी है, उनकी जांच की जाएगी और आवश्यक विधिक कार्रवाई की जाएगी। विशेषकर जिन जिलों में इस तरह के मामले ज्यादा हैं, वहां जांच तेज की जाएगी।
राज्य में 12.5 एकड़ से अधिक भूमि की खरीद के मामलों में भी विशेष जांच के आदेश दिए गए हैं। अगर किसी ने निवेश के उद्देश्य से भूमि खरीदकर उसका उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए किया है, तो वह भी जांच के दायरे में आएगा। जिलाधिकारी इन मामलों में भी विधिक कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।
उत्तराखंड में लंबे समय से सख्त भू-कानून की मांग की जा रही थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस दिशा में कदम उठाते हुए घोषणा की थी कि अगले विधानसभा बजट सत्र में प्रदेश में कड़ा भू-कानून लागू किया जाएगा। इस कानून के तहत नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ और सख्त कार्रवाई की जाएगी।
राजस्व सचिव एसएन पांडेय ने बताया कि जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं, और नियमों को ताक पर रखकर भूमि खरीदने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
उत्तराखंड में भू-कानूनों के उल्लंघन पर सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार अब नियमों का उल्लंघन कर जमीन खरीदने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है। इस दिशा में जिला प्रशासन को सख्त निर्देश दिए गए हैं, जिससे प्रदेश में नियमों का पालन सुनिश्चित हो सके और भविष्य में जमीनों की खरीद-फरोख्त पारदर्शिता के साथ हो सके।