उत्तराखंड के केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मनोज रावत के नाम पर मुहर लगाई, जो पहले भी केदारनाथ से विधायक रह चुके हैं। पार्टी की दिल्ली में हुई बैठक में वरिष्ठ नेताओं ने मनोज रावत को टिकट देने की सिफारिश की थी। इसके बाद स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में नामों पर चर्चा के बाद उनका नाम फाइनल किया गया।
मनोज रावत का कांग्रेस के लिए महत्व—
मनोज रावत केदारनाथ क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय हैं। 2017 से 2022 तक वे केदारनाथ से कांग्रेस के विधायक रहे हैं, और 2022 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, जिसमें वह तीसरे स्थान पर रहे। हालांकि, हार के बाद भी उन्होंने क्षेत्र में अपना जनसंपर्क बनाए रखा। उनके इसी सक्रियता को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने उन्हें एक बार फिर उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया है।
चुनाव प्रचार की रणनीति और कांग्रेस की उम्मीदें—
कांग्रेस ने इस बार के उपचुनाव में पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी की है। हाल ही में देहरादून में हुई कांग्रेस की कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक में केदारनाथ उपचुनाव को लेकर रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने बैठक के बाद पार्टी की एकजुटता का संदेश दिया और कहा कि कांग्रेस स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ राज्य की मूलभूत समस्याओं को उठाकर जनता की आवाज बनने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस चुनाव में मजबूती से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है और सभी बड़े नेताओं की ड्यूटी लगाई जाएगी।
भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर—
केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर की उम्मीद है। मनोज रावत का कहना है कि उनका मुकाबला सीधे उत्तराखंड सरकार से है, न कि भाजपा के प्रत्याशी से। उन्होंने राज्य सरकार पर केदारनाथ यात्रा को प्रभावित करने और क्षेत्र के युवाओं के रोजगार को छीनने का आरोप लगाया है। उनका मानना है कि इन मुद्दों पर जनता भाजपा को जवाब देने के लिए तैयार है।
वहीं, भाजपा ने भी चुनाव प्रचार के लिए अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर दिया है। भाजपा की रणनीति है कि वे अपने विकास कार्यों को जनता के सामने रखें और क्षेत्र की जनता को रुझाने का प्रयास करें। दोनों ही पार्टियां स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ राज्य स्तर के मुद्दों पर भी जोर दे रही हैं, जिससे यह चुनाव और भी दिलचस्प होता जा रहा है।
नामांकन और चुनावी प्रक्रिया—
केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 29 अक्टूबर है, जबकि 4 नवंबर को नाम वापसी की तिथि निर्धारित की गई है। 20 नवम्बर को इस सीट के लिए मतदान किया जाएगा। अब तक कुल 11 प्रत्याशियों ने नाम निर्देशन पत्र प्राप्त किए हैं, लेकिन अभी तक किसी का नामांकन दाखिल नहीं हुआ है। कांग्रेस के प्रत्याशी मनोज रावत का कहना है कि वे सोमवार या मंगलवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे।
जनता का मूड और संभावनाएं—
केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं के लिए स्थानीय मुद्दे बेहद महत्वपूर्ण हैं। क्षेत्र में पर्यटन और धार्मिक यात्रा के कारण रोजगार के अवसरों का बड़ा स्रोत है, और सरकार के फैसलों ने जनता को सीधे प्रभावित किया है। मनोज रावत का मानना है कि केदारनाथ क्षेत्र की जनता बेरोजगारी और विकास के मुद्दों पर कांग्रेस का समर्थन करेगी। दूसरी ओर, भाजपा अपने विकास कार्यों और राज्य सरकार की योजनाओं को जनता के सामने रख रही है।
इस चुनावी माहौल में, जहां एक ओर कांग्रेस स्थानीय मुद्दों को उठाने का दावा कर रही है, वहीं भाजपा अपने कार्यकाल के विकास कार्यों पर जोर दे रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी पार्टी जनता का विश्वास जीत पाती है और किसके पक्ष में मतदाता फैसला करते हैं।