मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब, गंगा स्नान कर लिया पुण्य लाभ

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उत्तरकाशी। मकर संक्रांति पर्व पर आस्था और श्रद्धा का अद्वितीय संगम देखने को मिला। कड़ाके की ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं का जनसैलाब गंगा स्नान के लिए उमड़ पड़ा। हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा भागीरथी में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। देव डोलियों की उपस्थिति में ढोल-नगाड़ों की गूंज और मां गंगा के जयकारों से पूरी उत्तरकाशी नगरी भक्तिमय हो उठी।

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धार्मिक महत्व और ज्योतिषीय दृष्टिकोण—

ज्योतिषाचार्य पंडित शक्तिधर शास्त्री के अनुसार, मकर संक्रांति को उत्तरायणी पर्व भी कहा जाता है। पुराणों में इस पर्व का विशेष महत्व है। भीष्म पितामह ने उत्तरायण की प्रतीक्षा में तीर शैय्या पर समय बिताया। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही उत्तरायण की शुरुआत होती है। इसे देवताओं का दिन माना जाता है, और इस दौरान सभी मांगलिक कार्य शुभ माने जाते हैं।

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सूर्य के उत्तरायण होने से दिशा और दशा दोनों में सकारात्मक परिवर्तन होता है। गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर तिल खिचड़ी, वस्त्र, और अन्य सामग्री का दान करने से हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

देव डोलियों का स्नान और श्रद्धालुओं का उत्साह—

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उत्तरकाशी के मणिकर्णिका घाट, केदार घाट, लक्षेश्वर, और अन्य प्रमुख स्नान घाटों पर तड़के चार बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई थी। कंडार देवता, नाग देवता, त्रिपुरा माता, राजराजेश्वरी, और अन्य आराध्य देवताओं की डोलियां भक्तों के साथ घाटों पर पहुंचीं। स्नान के बाद देव डोलियों और श्रद्धालुओं ने काशी विश्वनाथ, हनुमान मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों के दर्शन किए।

हरिद्वार में भी उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब—

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धर्मनगरी हरिद्वार में भी मकर संक्रांति के अवसर पर भारी भीड़ देखी गई। देशभर से आए श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान कर तिल और खिचड़ी का दान किया। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान और दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

प्रशासन की व्यवस्थाएं—

सांकेतिक- PHOTO – OM JOSHI

जिला प्रशासन और जिला पंचायत ने स्नान घाटों पर प्रकाश और सफाई व्यवस्था की। श्रद्धालुओं को ठंड से बचाने के लिए जगह-जगह अलाव जलाए गए। पुलिस बल को भी सुरक्षा और व्यवस्था के लिए तैनात किया गया।

उत्तरायण का विशेष महत्व—

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मकर संक्रांति से उत्तरायण का शुभारंभ होता है, जिसे देवताओं का दिन कहा गया है। छह महीने के दक्षिणायन के बाद उत्तरायण में विवाह, यज्ञोपवीत, मुंडन, और अन्य शुभ कार्य आरंभ होते हैं।

मकर संक्रांति का यह पर्व आस्था, श्रद्धा, और परंपराओं का प्रतीक है, जो पूरे देश में अलग-अलग नामों से उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।


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