उत्तराखंड को अपना नया पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मिल गया है। 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी दीपम सेठ ने सोमवार को राज्य के 13वें डीजीपी के तौर पर कार्यभार संभाल लिया। गृह विभाग के आदेश के बाद उन्होंने उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय में पदभार ग्रहण किया, जहां उन्हें “गार्ड ऑफ ऑनर” दिया गया और एडीजी स्तर के अधिकारियों ने उनका स्वागत किया।
शिक्षा और करियर की झलक—
दीपम सेठ का शैक्षिक और प्रशासनिक अनुभव बेहद समृद्ध है। नैनीताल के शेरवुड कॉलेज से सीनियर सेकेंडरी और बीआईटीएस पिलानी से इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने पुलिस सेवा में कदम रखा। वर्ष 1997 में उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय से पुलिस प्रबंधन में मास्टर डिग्री हासिल की। 2019 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहे सेठ को हाल ही में उत्तराखंड शासन ने वापस बुलाने का निर्णय लिया।
कार्यभार संभालने के बाद प्राथमिकताएं—
डीजीपी दीपम सेठ ने अपने कार्यकाल की प्राथमिकताओं को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा:
- कानून व्यवस्था में सुधार: राज्य में अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इनामी बदमाशों की गिरफ्तारी के लिए विशेष अभियान चलाने की योजना है।
- आम जनता की समस्याओं का समाधान: शिकायतों के शीघ्र निस्तारण को प्राथमिकता दी जाएगी।
- यातायात सुधार: यातायात व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के लिए बेहतर योजनाएं तैयार की जाएंगी।
- सत्यापन प्रक्रिया में तेजी: सत्यापन को और प्रभावी बनाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
- लापरवाही पर सख्त कार्रवाई: किसी भी प्रकार की लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
उत्तराखंड में चुनौतियों का सामना—
डीजीपी ने कहा कि उत्तराखंड पुलिस चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह सक्षम है। पुलिस कर्मियों को अधिक प्रभावी और परिणामोन्मुखी तरीके से काम करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
पारिवारिक पृष्ठभूमि और प्रेरणा—
दीपम सेठ उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से ताल्लुक रखते हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा सेंट पॉल इंटर कॉलेज, शाहजहांपुर में हुई। उनके पिता राधारमण सेठ एक चिकित्सक थे। दीपम की सफलता में उनकी भाभी पुष्पा का विशेष योगदान रहा, जिन्होंने उन्हें सिविल सेवा की तैयारी के लिए प्रेरित किया।
वर्तमान में सबसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी—
दीपम सेठ उत्तराखंड कैडर के सबसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं। पिछले साल डीजीपी अशोक कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद से उनके नाम की चर्चा चल रही थी। हालांकि, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर होने के कारण तत्काल उन्हें वापस नहीं बुलाया गया था।
राजनीतिक और प्रशासनिक निर्णय—
गृह विभाग ने डीजीपी चयन प्रक्रिया में तेजी लाते हुए केंद्र से सेठ को वापस बुलाने की अपील की। केंद्र ने इसे तत्काल स्वीकृत कर शनिवार को उन्हें रिलीव कर दिया। सोमवार को उन्होंने देहरादून में मूल कैडर ज्वाइन किया और डीजीपी का कार्यभार संभाला।
समाज और रिश्तेदारों में खुशी—
उनके डीजीपी बनने से रिश्तेदारों में खुशी की लहर है। परिवार ने उनके इस मुकाम तक पहुंचने को गर्व का विषय बताया। उनके चाचा सुरेंद्र सेठ ने कहा कि यह पूरे परिवार के लिए गर्व का क्षण है।
आगे का रास्ता—
डीजीपी दीपम सेठ ने साफ किया है कि उनका कार्यकाल उत्तराखंड में पुलिस प्रशासन को नई दिशा देने और जनता के विश्वास को बढ़ाने में महत्वपूर्ण होगा। कानून व्यवस्था और यातायात सुधार उनकी प्राथमिकता रहेगी।