यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार, जल्द होगा लागू, विधानसभा सत्र में करेंगे पेश: सीएम धामी

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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए गठित समिति का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है। यूसीसी ड्राफ्ट का विधिक विभाग के जरिए आकलन करवाया जाएगा। सरकार को मिलने के बाद इसे विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा। इसके बाद उत्तराखंड, देश का पहला समान नागरिक संहिता वाला राज्य बन जाएगा। समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए गठित समिति ने डेढ़ साल में दो लाख से भी ज्यादा लोगों के सुझाव, विचार लिए गए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि समान नागरिक संहिता में समुदाय विशेष को कोई नुकसान नहीं होगा। वहीँ समान नागरिक संहिता के समर्थन में हरिद्वार के हर की पैड़ी पर साधु-संतों ने एक दिन का सांकेतिक उपवास किया। साधु-संतों की मांग है कि यूसीसी पूरे देश में लागू होना चाहिए।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता से किसी समुदाय विशेष को नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में कोई किसी पंथ, समुदाय, धर्म या जाती का हो सबके लिए समान कानून हो यह प्रयास किया है। यूसीसी सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, के मूलमंत्र की दिशा में बढ़ाया गया है। समिति इसका ड्राफ्ट तैयार कर चुकी है, ड्राफ्ट मिलते ही इसे विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए प्रदेश की जनता से वादा किया था। इसके लिए देवतुल्य जनता ने भाजपा को बहुमत दिया है।

वहीं यूसीसी के समर्थन में हरिद्वार के हर की पौड़ी में साधु संतो ने एक दिन का सांकेतिक उपवास किया और मांग की कि यूसीसी पुरे देश में लागु होना चाहिए।

गौरतलब है कि पुष्कर सिंह धामी सरकार ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू करने का संकल्प लिया था और जिसे लेकर विधानसभा चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने यूसीसी लागू करने का वादा किया था। उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार बनी जिसके बाद ही ड्राफ्टिंग कमिटी का गठन भी कर दिया गया था। प्रदेश सरकार ने 27 मई 2022 को समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट बनाने के लिए जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था, जिसमें चार सदस्य शामिल किए गए। बाद में इसमें सदस्य सचिव को भी शामिल किया गया। इस समिति का कार्यकाल दो बार बढ़ाया भी गया। समिति ने अपने कार्यकाल में विभिन्न धर्मों, समुदाय व जनजातियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करने के साथ ही प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में जाकर स्थानीय व्यक्तियों से भी सुझाव लिए। समिति प्रवासी उत्तराखंडियों के साथ ही सभी राजनीतिक दलों से भी इस संबंध में सुझाव ले चुकी है। विशेषज्ञ समिति के 13 माह के कार्यकाल में अभी तक 52 बैठकें हो चुकी हैं और समिति को 2.50 लाख से अधिक सुझाव मिले हैं।


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