उत्तराखंड में पहली बार ट्रैकिंग स्थलों की डिजिटल मैपिंग, नियमावली भी तैयार

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उत्तराखंड में पहली बार ट्रैकिंग स्थलों की डिजिटल मैपिंग, नियमावली भी तैयार

देहरादून। उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन को व्यवस्थित और सुरक्षित बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। पर्यटन विभाग और वन विभाग मिलकर राज्य के सभी प्रमुख ट्रैकिंग स्थलों की डिजिटल मैपिंग शुरू करने जा रहे हैं। यही नहीं, इसके लिए एक अलग नियमावली भी तैयार की जा रही है, जिसका ड्राफ्ट फाइनल होकर शासन को भेजा जा चुका है। माना जा रहा है कि जल्द ही इसका अंतिम प्रारूप तैयार कर मंजूरी दी जाएगी।

पर्यटन सचिव धीराज गर्ब्याल ने कहा कि प्रदेश में साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। देश और दुनिया से आने वाले पर्यटक यहां ट्रैकिंग को लेकर खासा उत्साह दिखाते हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा और सुविधाओं को सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए ट्रैकिंग रूट्स को वैज्ञानिक तरीके से चिन्हित कर डिजिटल रूप से सुरक्षित बनाया जाएगा।

मुख्य वन संरक्षक पी.के. पात्रो ने बताया कि नियमावली के ड्राफ्ट में पर्यटकों की सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और पर्यावरण संरक्षण जैसे बिंदुओं को शामिल किया गया है। इसके लिए विभिन्न संस्थाओं और विशेषज्ञों से भी सुझाव लिए गए हैं।

उत्तराखंड में डोडीताल, दयारा बुग्याल, फूलों की घाटी, केदारताल, पिंडारी ग्लेशियर और हर की दून जैसे सैकड़ों लोकप्रिय ट्रैकिंग स्थल हैं, जो हर साल हजारों देशी-विदेशी सैलानियों को आकर्षित करते हैं। लेकिन अब तक इन रूट्स की कोई वैज्ञानिक व व्यवस्थित पहचान नहीं थी। राज्य की स्थापना के 25 साल बाद पहली बार इस दिशा में गंभीर पहल हो रही है।

डिजिटल मैपिंग के बाद न केवल पर्यटकों को ट्रैकिंग के दौरान सुरक्षित और सटीक जानकारी मिलेगी, बल्कि अलग-अलग स्थानों पर सुविधाओं का विकास भी किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम उत्तराखंड में पर्यटन गतिविधियों को नया आयाम देगा और प्रदेश की आर्थिकी को मजबूत करने में सहायक सिद्ध होगा।


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