उत्तराखंड में अवैध मजारों पर सरकार सख्त, अवैध कब्जे की जांच में 1000 से ज्यादा मजारें

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देवभूमि उत्तराखंड के जंगलों में अतिक्रमण कर वहां बन रही मजारों और अन्य धार्मिक संरचनाओं का विषय एक बार फिर से चर्चा के केंद्र में है। उत्तराखंड में जनसंख्या असंतुलन दूर करने को अब जल्द स्पेशल ड्राइव चलाई जायेगी और लैंड जिहाद पर पूरी तरह से रोक लगाई जाएगी। उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में एक हजार ऐसे स्थान चिन्हित किये हैं जहाँ अतिक्रमण कर मजार आदि बना दिए गए हैं।

सरकारी भूमि पर अवैध मजारें बनाने के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के तेवर बेहद सख्त हैं। जंगल की भूमि पर कब्जा कर एक हजार से ज्यादा मजारें व अन्य संरचनाएं बनी होने की बात सामने आई है जिसके बाद सरकारी भूमि पर अवैध मजारें बनाने के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के तेवर बेहद सख्त हैं। सतपुली और कालाढूंगी में योजनाओं के शिलान्यास और लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान उन्होंने चेतावनी दी कि प्रदेश में सरकारी जमीन पर जहां भी अवैध मजारें हैं, उन्हें स्वतः हटा लिया जाए। धामी ने कहा कि प्रदेश में एक हजार से अधिक स्थान ऐसे मिले हैं, जहां मजारें बना दी गईं हैं। जब इन मजारों को खोदा गया तो वहां किसी तरह के अवशेष नहीं मिले। उन्होंने कहा कि हम किसी के खिलाफ नहीं है, पर जमीन पर जबरन कब्जा भी नहीं होने देंगे, कहीं पर भी लैंड जिहाद को आगे नहीं बढ़ने देंगे। 

जंगलों में अवैध रूप से बनी मजारों को हटाने की मुहिम भी पिछले लगभग छह माह से चल रही है। पूर्व में देहरादून वन प्रभाग में 17, कालसी वन प्रभाग में नौ और गढ़वाल वन प्रभाग में बनी एक मजार को ध्वस्त किया गया था। इन सभी मामलों में वन भूमि में अतिक्रमण की पुष्टि हुई थी। सरकार ने भी माना है कि जंगल की भूमि पर कब्जा कर एक हजार से ज्यादा मजारें व अन्य संरचनाएं बनी होने की बात सामने आई है। अभी सर्वे जारी है और इनकी संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है।

पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री—वन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार का अतिक्रमण न हो, इस पर सरकार का विशेष ध्यान है। कुछ अतिक्रमण हटाए गए हैं और यह क्रम आगे भी बना रहेगा। जंगल में जहां भी धार्मिक स्थल अथवा किसी अन्य आड़ में अतिक्रमण की शिकायत आती है तो उस पर गंभीरता से कार्रवाई अमल में लाई जाएगी”


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