नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में मशीनों से खनन पर रोक लगा दी है। इस बाबत कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 12 जनवरी को होगी।
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने प्रदेश में मशीनों के द्वारा खनन किये जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसके बाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने नदियों में मशीनों से खनन पर रोक लगा दी है। इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को आदेश जारी कर दिए हैं। साथ ही सचिव खनन से पूछा है कि वन विकास निगम की वेबसाइट पर प्रति कुंतल रॉयल्टी 31 रूपया और प्राइवेट खनन वालों की वेबसाइट पर 12 रुपये प्रति कुंतल रॉयल्टी कैसे है, 12 जनवरी तक शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट को बताएं।जिलाधिकारियों को नदियों तट पर खनन को लगी मशीनों को सीज करने के आदेश भी दिए हैं। अगली सुनवाई को 12 जनवरी की तिथि नियत की है।
गौरतलब है की हल्द्वानी के हल्दूचौड़ निवासी गगन पराशर व् अन्य ने जनहित याचिका दायर कर कहा है की प्रदेश में मशीनों से खनन की अनुमति नहीं है उसके बाद भी प्रदेश में लगातार भारी मशीनों के साथ खनन किया जा रहा है। खनन नियमावली में मैन्युअल खनन की अनुमति है। इस पर रोक लगाई जाए। जनहित याचिका में यह भी कहा गया है की सरकारी और प्राइवेट खनन की रॉयल्टी दरों में भी भिन्नता है। वन विभाग की वेबसाइट पर 31 रुपये प्रति कुंतल और प्राइवेट में 12 रूपया प्रति कुंतल रॉयल्टी निर्धारित है जिसकी वजह से प्राइवेट खनन कारोबारी कम टैक्स दे रहे हैं। इससे सरकारी खजाने को नुक्सान हो रहा है। ग्राहक प्राइवेट खनन कारोबारियों से माल खरीद रहे हैं। सरकारी व प्राइवेट में एक समान रॉयल्टी दरें निर्धारित हों।
इस मामले में अगली सुनवाई 12 जनवरी को होगी। हाई कोर्ट ने वन विकास निगम को भी 12 जनवरी तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही सभी जिलाधिकारियों को नदी तल पर खनन के लिए लगाई गई मशीनों को सीज़ करने को कहा है।