उत्तराखंड में मातृ-शिशु स्वास्थ्य क्षेत्र में ऐतिहासिक पहल

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उत्तराखंड में मातृ-शिशु स्वास्थ्य क्षेत्र में ऐतिहासिक पहल

देहरादून, 25 अगस्त 2025 – उत्तराखंड सरकार ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवा को नई दिशा देने वाला एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। सोमवार को सचिवालय में आयोजित राज्य-स्तरीय मिडवाइफरी टास्क फोर्स की बैठक में “नर्स प्रैक्टिशनर मिडवाइफरी (NPM)” कार्यक्रम को औपचारिक तौर पर स्वीकृति दी गई। इस बैठक की अध्यक्षता स्वास्थ्य सचिव डा. आर. राजेश कुमार ने की।Navbharat Timespioneeredge.in

मातृ मृत्यु अनुपात में सुधार की उम्मीद

स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि यह पहल मातृ एवं नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने और सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा देने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। वर्तमान में, उत्तराखंड में मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) 104 प्रति एक लाख जीवित जन्म है, जो राष्ट्रीय औसत 88 प्रति एक लाख से अधिक है। इस कार्यक्रम से इस अंतर को कम करने में सहायता मिलेगी।pioneeredge.inNavbharat Times

पहला बैच और प्रशिक्षण की रूपरेखा

स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि इस कार्यक्रम में 30 प्रशिक्षित नर्स प्रैक्टिशनर मिडवाइफ्स का पहला बैच शामिल होगा। यह 18-माह का विशेष प्रशिक्षण देहरादून स्थित राज्य मिडवाइफरी प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित किया जाएगा। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, ये मिडवाइफ्स—जिनका पृष्ठभूमि GNM या B.Sc. नर्सिंग होगी—राज्य के चयनित सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में तैनात किए जाएंगे, जहां वे गुणवत्तापूर्ण, सम्मानजनक और साक्ष्य-आधारित मातृत्व सेवाएं प्रदान करेंगीं।pioneeredge.inNavbharat Times

सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप कदम

यह पहल भारत सरकार की मिडवाइफरी नीति एवं सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उत्तराखंड को मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में नई ऊँचाइयों तक ले जाने में सहायक होगी।pioneeredge.inNavbharat Times

उत्तराखंड सरकार की यह पहल मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और जमीनी अंतर को पाटने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। शिक्षित मिडवाइफ्स की तैनाती से प्रदेश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र—दोनो में—सेवा का स्तर और विश्वसनीयता बढ़ने की उम्मीद है। इस कार्यक्रम से न केवल मृत्यु दर में कमी आएगी, बल्कि प्रसव के दौरान महिलाओं को सम्मानजनक और सुरक्षित देखभाल की सुविधा भी सुनिश्चित होगी।—


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