श्रावण मास की शुरुआत के साथ कांवड़ यात्रा प्रारंभ, हरिद्वार में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

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श्रावण मास की शुरुआत के साथ कांवड़ यात्रा प्रारंभ, हरिद्वार में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

हरिद्वार | 11 जुलाई 2025
श्रावण मास के आरंभ होते ही शिवभक्ति की सबसे विशाल यात्रा—कांवड़ यात्रा—की आज भव्य शुरुआत हो गई। हरिद्वार की हर की पैड़ी से लेकर गोमुख और ऋषिकेश तक, गंगाजल भरने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। अनुमान है कि इस बार 7 करोड़ से अधिक शिवभक्त कांवड़ लेकर हरिद्वार आएंगे। बीते वर्ष यह आंकड़ा करीब 4.5 करोड़ तक पहुंचा था।

कांवड़ यात्रा श्रावण कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से लेकर चतुर्दशी तक चलती है। इस दौरान शिवभक्त गंगाजल भरकर उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश के विभिन्न शिवालयों तक पदयात्रा करते हैं और ‘शिव चौदस’ के दिन जलाभिषेक करते हैं। इस बार यह तिथि 23 जुलाई, बुधवार को पड़ रही है।

कांवड़ यात्रा: परंपरा और अध्यात्म का संगम

कांवड़ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि श्रद्धा, सहनशीलता और अनुशासन की एक अनुपम मिसाल भी है। माना जाता है कि सावन में कांवड़ यात्रा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

शिवभक्त इस दौरान मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का पूर्ण रूप से त्याग करते हैं। यह यात्रा सिर्फ शरीर की नहीं, बल्कि आत्मा की भी यात्रा मानी जाती है। 10 दिनों की यह पदयात्रा अनुशासन, त्याग और तप का पाठ पढ़ाती है।

इतिहास और पौराणिक संदर्भ

कांवड़ यात्रा का ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व भी अत्यधिक है। रामायण काल में श्रवण कुमार द्वारा माता-पिता को कंधों पर बिठाकर चार धाम यात्रा कराना इसकी पहली झलक मानी जाती है। माना जाता है कि उन्होंने गंगाजल से अपने माता-पिता को स्नान करवाया था।

मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम, श्रीराम और रावण ने भी कांवड़ यात्रा कर भगवान शिव का गंगाजल से जलाभिषेक किया था। समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को जब भगवान शिव ने ग्रहण किया, तो उनके कंठ की जलन शांत करने हेतु रावण ने गंगाजल से अभिषेक किया — यहीं से इस परंपरा की शुरुआत मानी जाती है।

देशभर में कहां-कहां होती है कांवड़ यात्रा?

उत्तर भारत के कई राज्यों में यह यात्रा पूरे उल्लास के साथ संपन्न होती है।

  • उत्तराखंड: हरिद्वार, गोमुख, ऋषिकेश

  • बिहार: सुल्तानगंज से देवघर, पहलेजा घाट से मुजफ्फरपुर

  • एमपी: इंदौर, देवास, शुजालपुर से उज्जैन

  • झारखंड: देवघर में बाबा बैद्यनाथ धाम
    सभी राज्यों में स्थानीय प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं।

हरिद्वार में प्रशासन की विशेष तैयारी

हरिद्वार को 16 सुपर जोन, 38 जोन और 134 सेक्टरों में बांटते हुए सुरक्षा व्यवस्था को चाकचौबंद किया गया है। पूरे मेला क्षेत्र पर निगरानी रखने के लिए ड्रोन कैमरों की मदद ली जा रही है।
पेयजल, पथ प्रकाश, मोबाइल शौचालय और सफाई के लिए नगर निगम की टीमें तैनात हैं। हर की पैड़ी, बैरागी कैंप, कांवड़ पटरी और कांवड़ बाजार में विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।

धार्मिक नगरी में ‘हर हर महादेव’ की गूंज

श्रावण मास के साथ हरिद्वार में ‘बम बम भोले’ और ‘हर हर महादेव’ के जयघोष से वातावरण भक्तिमय हो गया है। शिव भक्तों का यह उत्सव जहां अध्यात्म का प्रतीक है, वहीं यह समाज में समरसता, सहयोग और संयम का संदेश भी देता है।


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