केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव: मतदान संपन्न, 23 नवंबर को होगा परिणाम का फैसला

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केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव के लिए मतदान का कार्य संपन्न हो गया। इस दौरान मतदाताओं में खासा उत्साह देखने को मिला। सुबह से ही लोग अपने घरों से निकलकर पोलिंग बूथों पर लंबी कतारों में खड़े नजर आए। इस बार उपचुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है।

मतदान की खास व्यवस्था—

चित्र साभार – सोशल मीडिया

इस चुनाव के लिए 173 पोलिंग बूथ बनाए गए थे। मुख्य निर्वाचन कार्यालय ने पहली बार 75% पोलिंग बूथों (130 बूथ) पर सीसीटीवी कैमरे लगाए। इसके अलावा, निर्वाचन ड्यूटी में तैनात 205 वाहनों की जीपीएस के जरिए निगरानी की गई। वेबकास्टिंग और जीपीएस की निगरानी के लिए मुख्य निर्वाचन कार्यालय और जिला निर्वाचन कार्यालय में कंट्रोल रूम स्थापित किए गए थे।

मतदाता और मतदान प्रतिशत—

चित्र साभार – सोशल मीडिया

इस उपचुनाव में कुल 90,875 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें 44,919 पुरुष और 45,956 महिला मतदाता शामिल हैं। 1092 दिव्यांग और 641 मतदाता 85 वर्ष से अधिक उम्र के हैं। पहली बार मतदान करने वाले 2,441 युवा मतदाताओं ने भी अपने अधिकार का इस्तेमाल किया।

सुरक्षा और चुनावी प्रबंधन—

चित्र साभार – सोशल मीडिया

निर्वाचन आयोग ने 10 संवेदनशील बूथों की पहचान की थी। केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र को 2 जोनल मजिस्ट्रेट और 27 सेक्टर मजिस्ट्रेट के अंतर्गत बांटा गया था। इस बार मतदान में रिकॉर्ड भागीदारी दर्ज की गई, जिसने पिछले दो विधानसभा चुनावों का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया।

राजनीतिक समीकरण और प्रत्याशी—

इस उपचुनाव में कुल 6 प्रत्याशी मैदान में हैं। नौ जुलाई को केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र की विधायक शैलारानी रावत के निधन के कारण यह सीट खाली हुई थी। भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने इस सीट को जीतने के लिए पूरा जोर लगाया है। भाजपा ने रिकॉर्ड मतदान के आधार पर जीत का दावा किया है, वहीं कांग्रेस ने इसे राज्य सरकार के खिलाफ जनता का जनादेश बताया है।

23 नवंबर को होगा फैसला—

केदारनाथ विधानसभा सीट के लिए मतगणना 23 नवंबर को होगी। यह सीट ऐतिहासिक रूप से भाजपा और कांग्रेस के बीच प्रतिस्पर्धा का केंद्र रही है। अब तक हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा तीन बार विजयी रही है, जबकि कांग्रेस ने दो बार जीत दर्ज की है। इस बार का चुनाव न केवल प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेगा, बल्कि राज्य में भाजपा और कांग्रेस के राजनीतिक भविष्य के संकेत भी देगा।

 

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