केदारनाथ रोपवे: गौतम अडानी ने साझा की भविष्य की तस्वीर, अब सोनप्रयाग से केदारनाथ की यात्रा सिर्फ 36 मिनट में
रिपोर्ट: The Mountain Stories | Our News, Your Views
चमोली (उत्तराखंड):
केदारनाथ धाम जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। जल्द ही अब 8 से 9 घंटे का कठिन सफर केवल 36 मिनट में पूरा हो सकेगा। अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी ने शुक्रवार को केदारनाथ रोपवे परियोजना की भविष्य की तस्वीर और वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करते हुए बताया कि यह न केवल देश का बल्कि दुनिया का सबसे सुरक्षित और उन्नत रोपवे होगा।
अडानी ने पोस्ट में लिखा कि यह परियोजना “आस्था को सुविधा से जोड़ने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम” है, जो तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षित, तेज़ और पर्यावरण-संवेदनशील यात्रा सुनिश्चित करेगी।
12.9 किलोमीटर लंबा होगा रोपवे
यह विशाल रोपवे सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम के बीच बनाया जा रहा है। कुल लंबाई 12.9 किलोमीटर होगी।
रोपवे में अत्याधुनिक 3-एस ट्राइकेबल तकनीक का उपयोग किया जा रहा है — यह वही तकनीक है जो दुनिया के सबसे उन्नत और सुरक्षित केबल कार सिस्टम में अपनाई जाती है।
क्या है 3-एस ट्राइकेबल तकनीक:
इसमें तीन केबलों का इस्तेमाल होता है — दो केबल स्थिरता (support) के लिए और एक केबल गति (traction) के लिए। इससे ट्रॉली अधिक स्थिर, तेज और सुरक्षित रहती है, भले ही मौसम प्रतिकूल क्यों न हो।
35 यात्री एक साथ, प्रति घंटे 1800 श्रद्धालु
इस रोपवे में लगने वाली गोंडोला ट्रॉली में एक बार में 35 यात्री बैठ सकेंगे।
अडानी समूह के अनुसार, प्रति घंटे 1800 तीर्थयात्री सोनप्रयाग से केदारनाथ या केदारनाथ से सोनप्रयाग तक सफर कर सकेंगे।
अडानी ने अपने वीडियो संदेश में कहा —
“यह रोपवे न केवल यात्रा का समय घटाएगा, बल्कि एक सुरक्षित और सुगम यात्रा अनुभव प्रदान करेगा। स्थानीय पर्यटन, व्यापार और अर्थव्यवस्था को भी इसका सीधा लाभ मिलेगा। पर्यावरण संरक्षण और सतत निर्माण हमारा वादा है।”
पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा बल
केदारनाथ रोपवे बनने से उत्तराखंड के पर्यटन को एक नई उड़ान मिलने की उम्मीद है।
वर्तमान में सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक केवल शटल सेवा उपलब्ध है, जिसके बाद श्रद्धालुओं को 19 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। कई यात्री डोली, घोड़े या खच्चर के सहारे केदारनाथ पहुंचते हैं।
रोपवे के चालू हो जाने पर श्रद्धालु सीधे सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम तक पहुंच सकेंगे — जिससे यात्रा सुगम, समयबचाऊ और पर्यावरण अनुकूल हो जाएगी।
पर्यावरण संरक्षण के प्रति वचनबद्धता
अडानी समूह ने कहा है कि परियोजना के निर्माण में पर्यावरणीय मानकों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
हिमालयी पारिस्थितिकी की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए निर्माण प्रक्रिया “सस्टेनेबल डेवलपमेंट मॉडल” पर आधारित है।