हरिद्वार, 2 अक्टूबर: पितृ अमावस्या के पावन अवसर पर हरिद्वार के हरकी पैड़ी घाट और अन्य गंगा घाटों पर आज लाखों श्रद्धालु जुटे। तड़के से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने गंगा में स्नान और तर्पण करने के लिए घाटों की ओर रुख किया। गंगा के सभी प्रमुख घाट श्रद्धालुओं से खचाखच भरे हुए हैं, और इस धार्मिक पर्व के कारण शहर में यातायात की भीषण समस्या उत्पन्न हो गई है।
पितृ अमावस्या, जिसे महालय अमावस्या या सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में पूर्वजों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन श्राद्ध, तर्पण, और पिंडदान के माध्यम से लोग अपने पितरों को सम्मान देते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। मान्यता है कि पितरों का आशीर्वाद पाने से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि, और उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। इस अवसर पर श्रद्धालु गंगा में स्नान करते हैं, तर्पण करते हैं और पितरों की आत्मा को तृप्ति प्रदान करने के लिए दान देते हैं।
हरकी पैड़ी, जो हरिद्वार का प्रमुख धार्मिक स्थल है, में आज पितृ अमावस्या पर श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में पहुंच गई। गंगा स्नान करने के बाद श्रद्धालु नारायणी शिला पर जाकर तर्पण और पिंडदान कर रहे हैं। नारायणी शिला पर सीमित स्थान के कारण श्रद्धालुओं को क्रमवार तर्पण करने का अवसर दिया जा रहा है। हरकी पैड़ी से लेकर नारायणी शिला तक का पूरा मार्ग श्रद्धालुओं से भरा हुआ है, और श्रद्धालुओं की भावनाओं का उफान इस धार्मिक आयोजन में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
यातायात व्यवस्था प्रभावित—
हरिद्वार के मुख्य मार्गों पर भी भारी भीड़ के चलते यातायात अव्यवस्थित हो गया है। हाईवे से लेकर शहर की गलियों तक में जाम की स्थिति बनी हुई है। पुलिस और प्रशासन द्वारा स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास जारी हैं, लेकिन भीड़ की अत्यधिक संख्या के चलते यात्रा करने वाले यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे संयम और धैर्य से काम लें और व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करें।
पितृ अमावस्या पर हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं में बड़ी संख्या उन लोगों की होती है, जो अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए गंगा में स्नान और तर्पण करते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार, पितृ अमावस्या का दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करना चाहते हैं। इस दिन किए गए श्राद्ध, तर्पण और दान से पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मकता और शुभता का संचार करता है।
श्रद्धालुओं का मानना है कि पितरों की कृपा से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। इस दिन गंगा में स्नान करने और पवित्र जल के स्पर्श से पापों का नाश होता है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है। श्रद्धालुओं ने हरकी पैड़ी में गंगा जल से अपने पितरों को तर्पण किया और साथ ही पिंडदान कर उन्हें मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की।
हरिद्वार हमेशा से हिंदू धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र रहा है, और पितृ अमावस्या के अवसर पर यहां की धार्मिक गतिविधियां और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती हैं। पितृ अमावस्या के दिन गंगा में स्नान और तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, और श्रद्धालु इस दिन को अपने पूर्वजों की तृप्ति और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिए एक अद्वितीय अवसर मानते हैं।
प्रशासन की तैयारियां—
हरिद्वार प्रशासन ने इस विशाल भीड़ को देखते हुए पर्याप्त सुरक्षा और यातायात नियंत्रण के उपाय किए हैं। घाटों पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है, और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विभिन्न सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। हरिद्वार के सभी गंगा घाटों पर साफ-सफाई और सुरक्षा व्यवस्था को सुनिश्चित किया गया है, ताकि श्रद्धालु बिना किसी कठिनाई के अपने धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कर सकें।
हरिद्वार में पितृ अमावस्या के पावन अवसर पर उमड़ी इस विशाल भीड़ ने एक बार फिर साबित किया कि हिंदू धर्म में पूर्वजों के प्रति सम्मान और श्रद्धा का कितना गहरा महत्व है। श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान कर, उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की।