नैनीताल हाईकोर्ट को लंबे समय बाद स्थायी मुख्य न्यायाधीश मिल गया है। भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति जी नरेंद्र को नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया है। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम की सिफारिश के बाद लिया गया। जस्टिस नरेंद्र की नियुक्ति से संबंधित अधिसूचना सोमवार को विधि मंत्रालय द्वारा जारी की गई।
जस्टिस जी नरेंद्र का परिचय—
न्यायमूर्ति जी नरेंद्र का जन्म 10 जनवरी 1964 को हुआ। उन्होंने बैचलर ऑफ आर्ट्स और एलएलबी में स्नातक किया और 1989 में तमिलनाडु बार काउंसिल में वकील के रूप में नामांकित हुए। 1989 से 1992 तक उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में वकालत की। 1993 में उन्होंने कर्नाटक स्टेट बार काउंसिल में अपना पंजीयन स्थानांतरित कर दिया और कर्नाटक हाईकोर्ट में वकालत शुरू की।
जस्टिस नरेंद्र को 2 जनवरी 2015 को कर्नाटक हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद 30 अक्टूबर 2023 को उन्हें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में स्थानांतरित किया गया, जहां वह वरिष्ठतम न्यायाधीश के रूप में कार्यरत रहे। अब उन्हें उत्तराखंड हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है।
कॉलेजियम की सिफारिश और नियुक्ति प्रक्रिया—
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सितंबर 2023 में न्यायमूर्ति नरेंद्र को नैनीताल हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी। उत्तराखंड हाईकोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी के 10 अक्टूबर 2023 को सेवानिवृत्त होने के बाद से यह पद खाली था। उस समय वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
नैनीताल हाईकोर्ट में न्यायिक स्थिति—
नैनीताल हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश समेत कुल 11 पद हैं। जस्टिस नरेंद्र की नियुक्ति से कोर्ट को एक स्थायी मुख्य न्यायाधीश मिला है, जिससे न्यायिक कार्यों में स्थिरता और तेजी आने की संभावना है।
अनुभव और विशेषज्ञता—
जस्टिस नरेंद्र ने अपने करियर में कर्नाटक और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में न्यायिक और प्रशासनिक कार्यों का व्यापक अनुभव हासिल किया है। वह अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं और न्यायिक प्रणाली में उनकी विशेषज्ञता को व्यापक रूप से सराहा गया है।
जस्टिस नरेंद्र की नियुक्ति से नैनीताल हाईकोर्ट को एक अनुभवी और कुशल नेतृत्व मिलेगा। उम्मीद है कि उनकी नियुक्ति से कोर्ट में लंबित मामलों के निस्तारण में तेजी आएगी और न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा।