यूं तो उत्तराखंड सचिवालय में समय-समय पर चर्चाओं का बाजार गर्म रहता है और तमाम तरह की चर्चाएं पहले से चलती रही है लेकिन अचार सहिंता अवधि में उत्तराखंड सचिवालय से एक बहुत बड़ी ख़बर है। ख़बरों के मुताबिक सचिवालय में तैनात एक अधिकारी को विजिलेंस की टीम ने रंगे हाथों रिश्वत लेते गिरफ्तार किया है।
एसपी विजिलेंस धीरेंद्र गुंज्याल के अनुसार वर्ष 2008 में सिंचाई विभाग से रिटायर्ड इंजीनियर किशन चंद अग्रवाल से लंबित देयकों के भुगतान के एवज में सचिवालय में तैनात समीक्षा अधिकारी कमलेश थपलियाल ने एक लाख रुपये की रिश्वत की मांग की।
अंततः 75 हजार रुपए में डील फाइनल हुई। रिटायर्ड इंजीनियर अग्रवाल ने विजिलेंस के देहरादून सेक्टर में इसकी शिकायत की। विजिलेंस ने आरोपी समीक्षा अधिकारी को ट्रैप करने की प्लानिंग बनाई और आज शाम को रिटायर्ड इंजीनियर को रुपए लेकर आरोपी के पास भेजा। जैसे ही रिटायर्ड अभियंता ने आरोपी के हाथ में रुपए थमाए, तभी आसपास मौजूद विजिलेंस की टीम ने उसे रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया।
विजिलेंस से मिली जानकारी के मुताबिक 25 फरवरी 2022 को शिकायतकर्ता महेश चंद्र अग्रवाल ने एक पत्र विजिलेंस को दिया था। जिसमें बताया गया कि वह 30 अप्रैल 2008 को उत्तराखंड सिंचाई विभाग के अंतर्गत मनेरीभाली परियोजना से कनिष्ठ अभियंता के पद पर सेवानिवृत्त हुए थे।
रिटायरमेंट के दौरान सिंचाई विभाग स्टोर से सम्बंधित कुछ मदो में समान कमी के चलते शिकायतकर्ता की ग्रेच्युटी से साल 2013 में कटौती की गई। ऐसे में शिकायतकर्ता द्वारा अपनी भुगतान लंबित होने के चलते उत्तराखंड ट्रिब्यूनल कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। सुनवाई के बाद ट्रिब्यूनल न्यायालय ने शिकायत कर्ता के पक्ष में निर्णय दिया गया।
आरोपी के खिलाफ अधिनियम 1988 संशोधित अधिनियम दो हजार अट्ठारह की समुचित धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर जांच जारी है। वहीं, सतर्कता विभाग निदेशक अमित सिन्हा द्वारा विजिलेंस टीम को 10 हजार का इनाम देने की घोषणा की गई है। गिरफ्तारी के बाद से सचिवालय में हड़कंप मचा हुआ है।
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