वक्फ संपत्तियों के ऑनलाइन पंजीकरण को मिला नया अवसर, उत्तराखंड में ट्रिब्यूनल ने बढ़ाई समयसीमा
संसद में वक्फ संशोधन बिल पारित होने के बाद देशभर में वक्फ संपत्तियों को ऑनलाइन दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके तहत केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा ‘उम्मीद पोर्टल’ की शुरुआत की गई और सभी वक्फ संपत्तियों को 6 जून से 6 दिसंबर के बीच ऑनलाइन पंजीकरण करने के निर्देश दिए गए थे। हालांकि तय समयसीमा समाप्त होने के बावजूद बड़ी संख्या में वक्फ संपत्तियां पोर्टल पर दर्ज नहीं हो सकीं।
उत्तराखंड की स्थिति की बात करें तो निर्धारित अवधि में केवल लगभग एक चौथाई वक्फ संपत्तियों का ही ऑनलाइन पंजीकरण हो पाया। इसके बाद उम्मीद पोर्टल को दोबारा खोले जाने की मांग तेज हो गई। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां अदालत ने इस विषय पर निर्णय लेने का अधिकार राज्यों के वक्फ ट्रिब्यूनल को सौंप दिया।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद उत्तराखंड में गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के लिए अलग-अलग वक्फ ट्रिब्यूनल गठित किए गए हैं। इन ट्रिब्यूनलों ने शेष वक्फ संपत्तियों के ऑनलाइन पंजीकरण के लिए अतिरिक्त समय देने का फैसला लिया है। गढ़वाल मंडल में 6 फरवरी तक और कुमाऊं मंडल में 15 अप्रैल तक वक्फ संपत्तियों को ऑनलाइन रजिस्टर कराने की अनुमति दी गई है।
इस संबंध में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने बताया कि उम्मीद पोर्टल वक्फ संपत्तियों के संरक्षण और कल्याण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल थी। उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन बिल को लेकर कुछ मौलानाओं और संगठनों द्वारा किए गए विरोध और दुष्प्रचार के कारण शुरुआती महीनों में लोग संपत्तियों के ऑनलाइन पंजीकरण को लेकर भ्रमित रहे।
शादाब शम्स के अनुसार, चार से पांच महीने बीतने के बाद लोगों में वक्फ संपत्तियों के संरक्षण को लेकर जागरूकता आई, लेकिन तब तक पंजीकरण की अवधि का अधिकांश समय निकल चुका था। अंतिम एक से सवा महीने में सीमित समय के कारण बड़ी संख्या में संपत्तियां ऑनलाइन दर्ज नहीं हो सकीं।
उन्होंने बताया कि इसके बाद संबंधित पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, जहां से ट्रिब्यूनलों को फैसला लेने का अधिकार मिला। अब वक्फ बोर्ड जल्द ही केंद्रीय वक्फ काउंसिल से संपर्क कर उम्मीद पोर्टल को पुनः खोलने की औपचारिक मांग करेगा, ताकि शेष वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण सुनिश्चित किया जा सके।
सरकार और वक्फ बोर्ड का मानना है कि ऑनलाइन पंजीकरण से वक्फ संपत्तियों के संरक्षण, पारदर्शिता और बेहतर प्रबंधन में मदद मिलेगी।
