देवभूमि की अस्मिता की रक्षा के लिए ‘ऑपरेशन कालनेमि’ तेज, 10 जुलाई से अब तक 511 गिरफ्तारियाँ, 724 अभियोग दर्ज

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देवभूमि की अस्मिता की रक्षा के लिए ‘ऑपरेशन कालनेमि’ तेज, 10 जुलाई से अब तक 511 गिरफ्तारियाँ, 724 अभियोग दर्ज


देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार देवभूमि की सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक अस्मिता की रक्षा के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री का स्पष्ट दृष्टिकोण है कि उत्तराखंड केवल एक भौगोलिक इकाई नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था, परंपरा और विश्वास का केंद्र है, जिसकी गरिमा से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा।

इसी सोच के तहत राज्य सरकार ने धर्म और आस्था की आड़ में पाखंड, ठगी, अवैध गतिविधियों और संदिग्ध तत्वों पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए “ऑपरेशन कालनेमि” को 10 जुलाई से प्रदेशभर में लागू किया है। इस विशेष अभियान का उद्देश्य देवभूमि की पवित्रता बनाए रखते हुए कानून-व्यवस्था को मजबूत करना और आम जनता के विश्वास की रक्षा करना है।

ऑपरेशन कालनेमि के अंतर्गत हरिद्वार, देहरादून और ऊधमसिंहनगर जैसे संवेदनशील जनपदों में व्यापक स्तर पर सत्यापन एवं प्रवर्तन कार्रवाई की गई।
हरिद्वार जनपद में 3,091 व्यक्तियों का सत्यापन किया गया, जिसमें 715 मामलों में अभियोग पंजीकृत किए गए और 305 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

देहरादून जनपद में 1,711 व्यक्तियों का सत्यापन करते हुए 206 गिरफ्तारियाँ की गईं। यहां 09 अभियोग दर्ज किए गए, जबकि 380 व्यक्तियों के विरुद्ध निरोधात्मक कार्रवाई अमल में लाई गई।

ऊधमसिंहनगर जनपद में 220 संदिग्ध व्यक्तियों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई करते हुए गंभीर मामलों में अभियोग पंजीकृत किए गए।

प्रदेश स्तर पर अब तक कुल 4,802 से अधिक व्यक्तियों का सत्यापन, 724 अभियोग पंजीकरण और 511 गिरफ्तारियाँ की जा चुकी हैं। इसके साथ ही अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों के खिलाफ भी सख्त कदम उठाए गए हैं। अभियान के दौरान 19 बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से 10 को डिपोर्ट किया जा चुका है, जबकि शेष मामलों में विधिक प्रक्रिया जारी है।

राज्य सरकार का कहना है कि ऑपरेशन कालनेमि आगे भी पूरी सख्ती और निरंतरता के साथ जारी रहेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट किया है कि देवभूमि की आस्था, संस्कृति और सामाजिक ताने-बाने से खिलवाड़ करने वालों के लिए उत्तराखंड में कोई स्थान नहीं है और ऐसे तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई जारी रहेगी।


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