भू-कानून लागू करने की मांग को लेकर लोगों में उबाल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी: कानून लागू करने को लेकर तैयार और प्रतिबद्ध, कैबिनेट में रखेंगे प्रस्ताव

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उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड के बाद भू-कानून लागू किये जाने का मामला तूल पकड़ने लगा है, आंदोलनकारियों ने सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा और मांगों पर कार्रवाई न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी। इधर सरकार ने भी इसे लेकर अपनी कवायद तेज कर दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार इस कानून को लागू करने को पूरी तरह तैयार और प्रतिबद्ध है। शीघ्र ही कैबिनेट में इस प्रस्ताव को रखा जाएगा।

उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून और मूल निवास लागू करने की मांग को लेकर लोगों में उबाल बढ़ने लगा है, बुधवार को क्रांति दिवस पर सशक्त भू-कानून और मूल निवास लागू करने की मांग को लेकर राज्य आंदोलनकारियों, संगठनों और दलों ने मुख्यमंत्री आवास कूच किया। पुलिस ने हाथीबड़कला चौकी के पास बैरिकेडिंग लगाकर प्रदर्शनकारियों को रोक लिया। जिसके बाद आक्रोशित प्रदर्शनकारियों और पुलिसकर्मियों के बीच जमकर धक्कामुक्की व नोकझोंक हुई। आंदोलनकारियों ने सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा और मांगों पर कार्रवाई करने की अपील की।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि भू-कानून के लिए गठित समिति की रिपोर्ट सरकार को प्राप्त हो चुकी है। जन भावनाओं का सम्मान सरकार के लिए सर्वोपरि है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन भावनाओं के अनुरूप सरकार इस कानून को लागू करने को प्रतिबद्ध है। जल्द मंत्रिमंडल बैठक में प्रस्ताव को रखा जाएगा।

आपको बता दें कि धामी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में जुलाई, 2021 में भू-कानून के परीक्षण और अध्ययन को पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की थी। समिति के अन्य सदस्यों में सेवानिवृत्त आईएएस डीएस गब्र्याल व अरुण कुमार ढौंडियाल और श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय एवं तत्कालीन राजस्व अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन सम्मिलित थे।

गौरतलब है की इससे पहले भी राज्य में समय समय पर भू -कानून को लागू किये जाने की मांग उठती रही है। उत्तराखंड के युवाओं ने हिमाचल प्रदेश की तरह अपने राज्य में भी भू कानून लागू करने की मांग की है| हिमालयी राज्य हिमाचल प्रदेश में राज्य का अपना भू कानून है| इसी के तर्ज पर उत्तराखंड वासियों की मांग है कि उनके राज्य में भी इस तरह एक भू-कानून हो | उनका मानना है कि अगर उत्तराखंड भू कानून बन जाता है, तो बाहर के लोग इस राज्य में जमीन नहीं खरीद सकते जिससे यहाँ का सारा उद्द्योग क्षेत्र राज्य के लोगों के हाथों में आ जाएगा| जाहिर है अगर किसी संस्थान का मालिक राज्य का होगा तो वह वर्कर भी इसी राज्य के रखेगा, जिससे राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।


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