पिथौरागढ़: भारत–तिब्बत सीमा पर प्रथम गांव मिलम में मनाया गया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष, कठिन मार्गों से पहुंचकर स्वयंसेवकों ने निकाला पथ संचलन

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पिथौरागढ़: भारत–तिब्बत सीमा पर प्रथम गांव मिलम में मनाया गया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष, कठिन मार्गों से पहुंचकर स्वयंसेवकों ने निकाला पथ संचलन

पिथौरागढ़, जोहार घाटी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष (1925–2025) के उपलक्ष्य में भारत–तिब्बत सीमा पर स्थित भारत के प्रथम गांव मिलम में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। विजयादशमी के अवसर पर संघ के स्वयंसेवकों ने कठिन पहाड़ी मार्गों को पार करते हुए पथ संचलन किया और अखण्ड भारत व विश्व गुरु भारत के संकल्प के साथ संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने का उत्सव मनाया।

यह आयोजन मुनस्यारी खंड के लीलम मंडल के अंतर्गत आने वाले मिलम गांव में किया गया। गांव के ग्राम प्रधान ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने राष्ट्र, समाज और संस्कृति के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण का प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम में विभाग शारीरिक प्रमुख नवीन चन्द्र शर्मा, जिला संघचालक गोविन्द सिंह खाती, जिला प्रचारक गणेश, जिला सम्पर्क प्रमुख रणजीत सिंह, खंड कार्यवाह प्रेम सिंह, प्रताप सिंह, दीवान सिंह भण्डारी, हर्षित डसीला, गोकर्ण सिंह मर्तोलिया, गोकर्ण सुयाल, खुशाल सिंह धर्मशत्तू, दर्पण कुमार, सोनू निखुर्पा और विनोद सिंह सहित कई स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

वक्ताओं ने अपने संबोधन में सामाजिक समरसता, नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण एवं जल संरक्षण, स्व का बोध और परिवार प्रबोधन पंच परिवर्तन जैसे विषयों पर विस्तृत विचार रखे। इसे संघ के कार्य विस्तार की दृष्टि से एक प्रगतिशील कदम माना जा रहा है, क्योंकि इस बार संघ का शताब्दी कार्यक्रम देश की सीमांत बस्तियों तक पहुंचा है।

उधर, भारत के प्रथम गांवों में शामिल गुंजी (Gunji) में भी संघ शताब्दी वर्ष के तहत शस्त्र पूजन और पथ संचलन का आयोजन हुआ। इस अवसर पर अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख राजकुमार मटेला सहित अन्य अधिकारी और स्थानीय ग्रामीण उपस्थित रहे। पहली बार इस सीमांत क्षेत्र में संघ के स्वयंसेवकों द्वारा आयोजित ऐसे कार्यक्रम ने स्थानीय निवासियों में उत्साह और गर्व की भावना उत्पन्न की।

गुंजी गांव की विशेषता:
गुंजी समुद्र तल से लगभग 3,200 मीटर (10,500 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के भारत–नेपाल–तिब्बत (चीन) त्रि-सीमा के निकट बसा है। यह गांव कैलाश मानसरोवर और आदि कैलाश यात्रा का एक प्रमुख पड़ाव है।

संघ के शताब्दी वर्ष का महत्व:
यह वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 100 वर्ष की यात्रा का प्रतीक है — 1925 से 2025 तक। इस अवधि में संगठन ने शिक्षा, सेवा, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, ग्राम विकास, राष्ट्रभक्ति और चरित्र-निर्माण जैसे अनेक क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किए हैं। संघ इस वर्ष को केवल उत्सव नहीं बल्कि “संकल्प वर्ष” के रूप में मना रहा है, ताकि अगले 100 वर्षों के लिए नए संगठनात्मक, सामाजिक और सांस्कृतिक लक्ष्यों का निर्धारण किया जा सके।

देशभर में व्यापक कार्यक्रम:
संघ ने इस अवसर पर पूरे देश में घर-घर संपर्क, हिंदू सम्मेलन, समरसता बैठकें और सेवा कार्यक्रम आयोजित करने का आह्वान किया है, ताकि संगठन के विचार और उद्देश्य समाज के सभी वर्गों तक पहुंच सकें।


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