राज्य स्थापना दिवस से पहले सियासी गरमी तेज, 3-4 नवंबर को विधानसभा का विशेष सत्र

Our News, Your Views

राज्य स्थापना दिवस से पहले सियासी गरमी तेज, 3-4 नवंबर को विधानसभा का विशेष सत्र – कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार पर सरकार घिरेगी

देहरादून। उत्तराखंड राज्य स्थापना की 25वीं वर्षगांठ (रजत जयंती) से पहले प्रदेश की सियासत गरमा गई है। राज्य सरकार ने 3 और 4 नवंबर को देहरादून में उत्तराखंड विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र आहूत किया है। वहीं विपक्ष ने संकेत दिए हैं कि वह इस सत्र में सरकार को कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार और विज्ञापन खर्च जैसे मुद्दों पर घेरने की तैयारी कर चुका है।

श्रोत – डिजिटल मीडिया

विधानसभा का विशेष सत्र 3-4 नवंबर को

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) द्वारा अनुमोदन के बाद विशेष सत्र की अधिसूचना जारी कर दी गई है। यह सत्र राज्य स्थापना दिवस (9 नवंबर) से पहले आयोजित किया जा रहा है, जिसे सरकार विशेष महत्व दे रही है।

विपक्ष का सरकार पर हमला तेज

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सत्र से पहले ही सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है, कानून व्यवस्था पूरी तरह ढही हुई है और जनता के भीतर डर और असुरक्षा का माहौल है।

यशपाल आर्य ने कहा:

“शहीदों ने उत्तराखंड को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार वाला राज्य बनाने का सपना देखा था, लेकिन आज प्रदेश में सिर्फ लूट और भ्रष्टाचार मचा हुआ है। बीजेपी सरकार के पास अपनी विफलता छुपाने के अलावा कुछ नहीं बचा।”

विज्ञापनों के खर्च पर भी उठे सवाल

नेता प्रतिपक्ष ने सरकार पर 1000 करोड़ रुपये के विज्ञापन खर्च का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार अपनी छवि चमकाने में जनता का पैसा पानी की तरह बहा रही है। उन्होंने सरकार को चुनौती देते हुए कहा:

“अगर सरकार ईमानदार है तो वह सदन में इन मुद्दों पर जवाब दे और तथ्य रखे।”

“सरकार की ताबूत में आखिरी कील होगा सत्र” – विपक्ष

यशपाल आर्य ने कहा कि विपक्ष इस विशेष सत्र में हर महत्वपूर्ण मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाएगा। उन्होंने कहा:

“यह दो दिवसीय सत्र बीजेपी सरकार की ताबूत में आखिरी कील साबित होगा। विपक्ष जनता के सवालों को सदन में बेबाकी से रखेगा और सरकार की पोल खोलेगा।”

पिछला सत्र भी हंगामेदार रहा था

इससे पहले अगस्त में गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा भवन में आयोजित सत्र भारी हंगामे की भेंट चढ़ गया था। विपक्ष ने कानून व्यवस्था सहित कई मुद्दों पर सरकार को घेरा था। सदन में पर्चे उड़ाए गए, नारेबाजी हुई और विपक्ष ने सदन में रात भर धरना भी दिया था। उस समय कार्यवाही केवल दो दिन (19 और 20 अगस्त) ही चल पाई थी।

राज्य स्थापना दिवस से पहले आयोजित यह सत्र प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। एक ओर जहां धामी सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाने की तैयारी में है, वहीं विपक्ष उसे घेरने के लिए आक्रामक रणनीति बना चुका है। अब देखना यह होगा कि यह विशेष सत्र उत्तराखंड की राजनीति में क्या नया समा लेकर आता है।


Our News, Your Views