उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की तैयारियां पूरी, सीएम धामी जल्द करेंगे ऐलान

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देहरादून, 25 जनवरी/ उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संकेत दिए हैं कि अगले एक से दो दिनों में यूसीसी लागू करने की तारीख की घोषणा कर दी जाएगी। इस महत्वपूर्ण कदम से उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा, जहां समान नागरिक संहिता लागू होगी।

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कैबिनेट से मिली मंजूरी—

20 जनवरी को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यूसीसी की नियमावली को मंजूरी दी गई थी। मुख्यमंत्री धामी को इसे लागू करने की तारीख तय करने का अधिकार दिया गया था। अब संभावना जताई जा रही है कि 27 जनवरी को दोपहर 12:30 बजे मुख्यमंत्री इस ऐतिहासिक घोषणा को सार्वजनिक करेंगे।

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मुख्य प्रावधान—

समान नागरिक संहिता में समाज सुधार और समानता पर जोर दिया गया है। इसके प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं:

  • बहुविवाह पर रोक: एक से अधिक शादी पर प्रतिबंध, केवल एक विवाह ही मान्य होगा।
  • लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण: लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को पुलिस के पास रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा।
  • संपत्ति में समान अधिकार: बेटा-बेटी को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।
  • हलाला और इद्दत प्रथा समाप्त: मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत की प्रथाओं पर रोक लगेगी।
  • विवाह का पंजीकरण अनिवार्य: शादी का पंजीकरण न होने पर सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा।
  • तलाक के समान अधिकार: पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे।
  • गार्जियनशिप प्रावधान: बच्चों की कस्टडी, जरूरत पड़ने पर उनके दादा-दादी को सौंपी जा सकेगी।
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यूसीसी के लागू होने से बदलाव—

समान नागरिक संहिता के लागू होने से समाज में व्याप्त बाल विवाह, बहुविवाह और तलाक जैसी कुप्रथाओं पर लगाम लगेगी। यह कानून किसी भी धर्म की मान्यता और रीति-रिवाजों को प्रभावित किए बिना बाल और महिला अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।

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मुख्यमंत्री का बयान—

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “यूसीसी उत्तराखंड के विकास और समाज में समानता लाने के लिए ऐतिहासिक कदम है। इससे सभी वर्गों को समान अधिकार मिलेंगे और समाज में व्याप्त कुरीतियों का अंत होगा।”

तैयारियां अंतिम चरण में—

यूसीसी लागू करने के लिए पोर्टल तैयार किया जा चुका है। अधिकारियों को ट्रेनिंग दी गई है, और शासन स्तर पर सभी व्यवस्थाएं पूर्ण कर ली गई हैं।

इस ऐतिहासिक कदम के साथ उत्तराखंड देश में एक नई मिसाल पेश करेगा और समानता, न्याय और सामाजिक सुधार का संदेश देगा।


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